ईस्टर बम विस्फोट मामले में अंतरराष्ट्रीय जांच का कोई सवाल ही नहीं : Ranil Wickremesinghe

कोलंबोः श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने 2019 में ईस्टर पर्व पर हुए बम धमाकों के मामले की अंतरराष्ट्रीय जांच की किसी भी संभावना को खारिज किया है। राष्ट्रपति ने साथ ही कहा कि देश के कानून के तहत ऐसी किसी भी जांच की अनुमति नहीं दी जा सकती। कैथोलिक चर्च के समाचारपत्र में प्रकाशित.

कोलंबोः श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने 2019 में ईस्टर पर्व पर हुए बम धमाकों के मामले की अंतरराष्ट्रीय जांच की किसी भी संभावना को खारिज किया है। राष्ट्रपति ने साथ ही कहा कि देश के कानून के तहत ऐसी किसी भी जांच की अनुमति नहीं दी जा सकती। कैथोलिक चर्च के समाचारपत्र में प्रकाशित एक संपादकीय के जवाब में राष्ट्रपति के मीडिया प्रकोष्ठ (पीएमडी) ने कहा,‘‘ हम श्रीलंका के आंतरिक मामलों में अंतरराष्ट्रीय जांच के विचार को मान्यता नहीं दे सकते।’’ संपादकीय में कहा गया था, ‘‘स्वतंत्र, पारदर्शी और गहन जांच एवं निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय जांच दल की आवश्यकता है।’’

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पीएमडी की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, ‘‘श्रीलंका का संविधान तथा अन्य वर्तमान कानून अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मंजूरी नहीं देते। इस प्रकार की जांच की अनुमति देना कानून का उल्लंघन करने जैसा होगा।’’ आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से जुड़े स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) के नौ आत्मघाती हमलावरों ने 21 अप्रैल 2019 को श्रीलंका में तीन कैथोलिक चर्च और कई होटल में सिलसिलेवार विस्फोट किए थे। इन हमलों में 11 भारतीयों सहित लगभग 270 लोग मारे गए और 500 से अधिक लोग घायल हुए थे।

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ईस्टर के दौरान हुए हमलों और उसका राजनीतिक पक्ष सितंबर में उस वक्त फिर से चर्चा में आया जब ब्रिटेन के टेलीविजन ‘चैनल 4’ ने ‘श्रीलंकाज ईस्टर बॉबिंग-डिस्पैचेस’ शीर्षक वाला एक वृत्तचित्र प्रसारित किया। इसमें आरोप लगाए गए हैं कि ईस्टर आत्मघाती बम विस्फोटों को अंजाम देने में खुफिया सेवा के प्रमुख मेजर जनरल सुरेश सल्लाय सहित कुछ सरकारी अधिकारियों की भागीदारी और मिलीभगत थी। इसमें कहा गया है कि हमले की ‘‘योजना बनाई’’ गई थी और इसका मकसद राजपक्षे बंधुओं के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाना था।

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गोटबाया राजपक्षे ने हमलों के तीन दिन बाद अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की और वह सात महीने बाद राष्ट्रपति चुने गए। उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे भी देश के पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री थे। देश में भीषण आर्थिक संकट के बीच राजपक्षे भाइयों को पिछले साल इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

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