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जलवायु परिवर्तन से निपटने में चीन इस तरह दे रहा है योगदान

जलवायु परिवर्तन की समस्या दुनिया के सामने खड़ी एक बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए विभिन्न देश समय-समय पर योजनाएं तैयार करते हैं। जाहिर है कि यह एक वैश्विक चुनौती है, ऐसे में इससे निपटने के लिए प्रयास भी एकजुट होकर करने होंगे। चीन की बात करें तो वह इस दिशा में अपनी ओर.

जलवायु परिवर्तन की समस्या दुनिया के सामने खड़ी एक बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए विभिन्न देश समय-समय पर योजनाएं तैयार करते हैं। जाहिर है कि यह एक वैश्विक चुनौती है, ऐसे में इससे निपटने के लिए प्रयास भी एकजुट होकर करने होंगे। चीन की बात करें तो वह इस दिशा में अपनी ओर से व्यापक कोशिश कर रहा है। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते चीन अपनी जिम्मेदारी को समझता है। चीन विभिन्न देशों के साथ मिलकर काम करने की बात करता रहा है। चीनी राष्ट्रपति की हालिया सैन फ्रांसिस्को यात्रा के दौरान चीन और अमेरिका दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
उधर चीन ने फ्रांस के साथ भी इस समस्या के हल के लिए मिलकर काम करने का वादा किया है। चीन ने यह बताने की कोशिश की है कि वह इस चुनौती से निपटने के लिए अन्य देशों को साथ लेकर चलेगा। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सोमवार को इस बारे में ऐलान किया। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉ के साथ फोन वार्ता में शी ने जोर दिया कि चीन दुबई में होने वाली जलवायु परिवर्तन संबंधी वार्ता में फ्रांस के साथ संयुक्त रूप से कार्य करेगा।
चीन इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए तेजी से कोशिश कर रहा है। पारिस्थितिक पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक चीन ने जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया को बढ़ाने के निरंतर प्रयासों के बीच जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी प्रगति हासिल की है। हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने पिछले कुछ वर्षों में कार्बन कटौती का लक्ष्य हासिल करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। बताया जाता है कि चीन ने साल 2022 में कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता वर्ष 2005 के मुकाबले 51 फीसदी तक कम करने में कामयाबी हासिल की है। इसके साथ ही चीन की कुल ऊर्जा खपत में गैर-जीवाश्म ऊर्जा की हिस्सेदारी 17.5 प्रतिशत तक पहुंच गयी है।
चीन के संबंधित विभाग के अधिकारियों के अनुसार, चीन ने क्लाइमेट चेंज की चुनौती के निपटारे के लिए अनुकूलन और शमन को समान महत्व दिया है। साथ ही वर्ष 2035 तक जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए समग्र योजना और व्यवस्था बनायी है।
इतना ही नहीं चीन ने विकासशील देशों को इस बारे में मदद देने में अग्रणी भूमिका निभाई है। जिसमें दक्षिण-दक्षिण सहयोग वाले राष्ट्र शामिल हैं, वे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। चीन ने सितंबर 2023 तक कई विकासशील देशों के साथ जलवायु परिवर्तन पर 48 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। जबकि 120 से ज्यादा विकासशील देशों के लिए 2,300 से अधिक अधिकारियों और तकनीशियनों को ट्रेनिंग देने में मदद की है।
गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के लिए पार्टियों के सम्मेलन का 28वां सत्र (COP28) जल्द ही दुबई में आयोजित होने वाला है। इसमें जलवायु परिवर्तन से जुड़े अहम विषय पर चर्चा होनी है। इसमें साल 2030 से पहले ऊर्जा परिवर्तन पर तेज़ी से नजर रखना और उत्सर्जन में कटौती करना प्रमुख है। साथ में पूर्व में किए गए वादों को पूरा करने के लिए क्लाइमेट फाइनेंस में बदलाव करने पर भी ध्यान होगा। इसके लिए एक नए समझौते की रूपरेखा तैयार करने पर ज़ोर दिया जाएगा। वहीं प्रकृति, मानव, जीवन और आजीविका आदि को जलवायु कार्रवाई के केंद्र में रखा जाएगा।
(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

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