China और India से ऐसे हो रही गरीबी की विदाई

चीन और भारत एक दूसरे के पड़ोसी तो हैं ही, कई बातों में दोनों देशों में समानता रही है। दोनों जगह एक दौर में गरीबी खूब रही है। इसमें ग्रामीण गरीबी की स्थिति ज्यादा चिंतनीय रही। लेकिन चीन ने अपने यहां गरीबी मिटाने के लक्ष्य पर काम करते हुए अनूठा काम किया, उसने ग्रामीण गरीबी.

चीन और भारत एक दूसरे के पड़ोसी तो हैं ही, कई बातों में दोनों देशों में समानता रही है। दोनों जगह एक दौर में गरीबी खूब रही है। इसमें ग्रामीण गरीबी की स्थिति ज्यादा चिंतनीय रही। लेकिन चीन ने अपने यहां गरीबी मिटाने के लक्ष्य पर काम करते हुए अनूठा काम किया, उसने ग्रामीण गरीबी को खत्म करने के लिए काम किया और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित साल 2030 तक गरीबी खत्म करने की सीमा से काफी पहले यानी करीब नौ साल पहले ही गरीबी खत्म करने का लक्ष्य हासिल कर लिया। जिस पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी मुहर लगा दी। जिसे पिछले चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मानवीय चमत्कार कहा था। 

साल 2012 में शी चिनफिंग ने सत्ता संभालते ही गरीबी दूर करने को राष्ट्रीय एजेंडा में शामिल किया। इसके बाद से ही चीनी सरकार ने वास्तविक गरीबों की पहचान और उनकी मदद पर फोकस किया। इसके लिए चीन ने एक दशक में करीब 800 अरब डॉलर खर्च किए। इसके लिए गांवों के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया। चीन सरकार के दिए आंकड़ों के मुताबिक, हर गांव तक सड़कों और राजमार्गों की पहुंच बढ़ाई गई। वहां स्कूल, अस्पताल और मनोरंजन केंद्र बनाए गए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी हुई। इसके साथ ही कृषि को ब़ाजार से जोड़ा गया। जिसकी वजह से गांवों से शहरों की ओर पलायन रूका। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया गया। 

चीन सरकार को लगा कि जब तक ग्रामीण क्षेत्रों में भारी निवेश नहीं होगा, तब तक लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं हो सकेगी। गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई गईं। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास में निवेश में बढ़ोतरी हुई जिससे रोजगार के अवसर बढ़े और गरीबी कम हुई। इस विकास कार्य में चीन सरकार ने अपने राजनीतिक कैडर की जवाबदेही भी तय की। इसके जरिए चीन ने साबित किया कि राजनीतिक कैडर के इस्तेमाल के जरिए भी लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाया जा सकता है। चूंकि राजनीतिक कार्यकर्ता गांवों और वहां के लोगों के बारे में अच्छे से जानते हैं। इसलिए उनके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी की जांच कराई गई। इसमें चीन की अपनी विशेष राजनीतिक संरचना ने भी मदद की। यहां की कम्युनिस्ट पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जो गाइडलाइन बनाता है, उसे नीचे तक मानना अनिवार्य होता है।

भारत और चीन की ग्रामीण संरचना में काफी हद तक समानता है। भारत में भी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में ग्रामीण गरीबी को खत्म करने पर फोकस किया गया है। इसके लिए गांवों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाकर दिए जा रहे हैं। इसके तहत अब तक पूरे देश में करीब दो करोड़ घर बनाए जा चुके हैं। कमजोर तबके की करीब नौ करोड़ महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए गए हैं। स्वच्छता मिशन के तहत देशभर में बारह करोड़ शौचालय बनाए गए। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से देश के सभी गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत हर गांव को बिजली मुहैया कराई जा चुकी है। अपनी तरह से राज्य सरकारें भी ग्रामीण गरीबी को खत्म करने की योजनाएं चला रही हैं। छत्तीसगढ़ सरकार को गांवों से सीधे गोबर खरीद रही है। भारत में चीन की तर्ज पर खेती की उपज को बाजारों से जोड़ा जा रहा है। इसकी वजह से भारत में ग्रामीण गरीबी घट रही है। हालांकि भारत में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

(उमेश चतुर्वेदी)

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