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चीन में साल के सबसे महत्वपूर्ण दो सत्रों का आयोजन, पूरे विश्व की रहेगी नजर : भारतीय विशेषज्ञ 

Indian Expert

Indian Expert : चीन की राजधानी पेइचिंग में मार्च महीने के पहले सप्ताह में एक महत्वपूर्ण गतिविधि शुरू होने वाली है। जिसे एनपीसी और सीपीपीसीसी के रूप में जाना जाता है। इन सत्रों के दौरान तमाम बड़े नेता और प्रतिनिधि देश के कई अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। साथ ही, भविष्य की योजनाओं और लक्ष्यों पर भी विचार-विमर्श करेंगे। इस मामले पर सीजीटीएन हिंदी संवाददाता अनिल पांडेय ने भारत की जानी-मानी राजनयिक विश्लेषक और अंतर्राष्ट्रीय मामलों की जानकार डॉ. शिखा गुप्ता के साथ खास बातचीत की। चीन को करीब से जानने और समझने वाली जुड़ी डॉ. गुप्ता आगामी दो सत्रों को लेकर उत्साहित हैं। उन्हें लगता है कि चीनी नेता इस अवसर पर जो निर्णय लेंगे, उनका देश और विश्व पर सकारात्मक असर पड़ेगा।  

डॉ. गुप्ता एनपीसी और सीपीपीसीसी के आयोजन को एक बहुत प्रगतिशील कदम के रूप में देखती हैं, जिसमें उन्हें लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक वास्तविक स्वरूप नजर आता है। वे कहती हैं कि इस तरह के सत्रों से आप विश्व के लिए प्रमुख केंद्र बन जाते हैं, जहां पर भविष्य की रणनीतियों और योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जाता है। साथ ही इन सत्रों में किन-किन नीतियों पर चलने पर जोर दिया जाता है, यह भी ध्यान देने वाली बात होती है। उनके अनुसार, ऐसे आयोजनों से आप अपने देश के नागरिकों के लिए एक प्लेटफार्म खोलते हैं, जहां पर मुद्दों व और विषयों को सामने रखना चाहते हैं। उनके जरिए यह भी जानना चाहते हैं कि वास्तविकता में क्या नीतियां तैयार हो रही हैं। इन नीतियों पर लोगों का कितना योगदान है, यह बताने की कोशिश रहती है। 

पेइचिंग में हर वर्ष एनपीसी और सीपीपीसीसी का आयोजन किया जाता है, इनकी तुलना भारत में संसद सत्र से की जा सकती है। जहां पर लोगों का जन-जीवन सुधारने पर ध्यान रहता है, साथ ही आर्थिक सुधारों और खुलेपन पर जोर दिया जाता है। डॉ. गुप्ता के अनुसार, चीन के ये दो सत्र भारत में रायसीना संवाद के जैसे हैं। मार्च महीने में आयोजित होने वाले रायसीना संवाद में विदेश संबंधी मामलों पर विचार-विमर्श किया जाता है। हालांकि इसमें देश के भीतर के मुद्दों पर भी संवाद होता है। और देश-विदेश से कई जाने-माने लोग हिस्सा लेते हैं। चीन के दो सत्र भी लगभग वैसे ही हैं, जिसमें चीन एक जिम्मेदार शक्ति की तरह नजर आता है।

चीन सुधारों और खुलेपन पर लगातार ज़ोर दे रहा है। दो सत्रों के दौरान इसका रोडमैप तैयार होता है। डॉ. गुप्ता के अनुसार, वह लगभग दो दशक से अधिक समय से चीन के साथ जुड़ी हुई हैं। कहती हैं कि पहले चीनी भाषा की छात्रा के रूप में समझना शुरू किया और बाद में विश्लेषक आदि के रूप में। उन्हें इस दौरान चीन में बहुत सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग बार-बार अपने इस सपने की बात करते हैं, जो कि मानव समुदाय के साझे भविष्य पर आधारित है। और चीन का विकास करते हुए नागरिकों को साथ लेकर चलने का सपना है। पहले इन सत्रों के दौरान उन्होंने इस सपने का उल्लेख किया था। कहा जा सकता है कि यह बहुत सकारात्मक और जिम्मेदार कदम है, जो कि चीन की नीतियों को दिशा दिखाता है। यह कहीं-कहीं विकसित भारत के फोकस की तरह नजर आता है। बहुत सारे समावेश इसमें दिखते हैं और दोनों में बहुत समानता भी नजर आती है। 

इस साल चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंध स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर डॉ. गुप्ता ने दोनों देशों को बधाई दी। साथ ही उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान का उल्लेख किया, जिसमें वे सम्मान, संवेदनशीलता और रुचि की बात करते हैं। अगर इन बिंदुओं पर चलकर दोनों देश आगे बढ़ें तो बहुत अच्छा होगा। वहीं सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास के साथ काम किया जाय, तो दोनों देशों के रिश्ते बेहतर हो सकते हैं। यह चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के मानव समुदाय के साझे भविष्य की कामना से मेल खाता है। उन्होंने कहा कि दोनों राष्ट्रों के बीच संबंधों को सुधारने में आपसी विश्वास बहुत जरूरी है। जो दो देशों को एक पटल पर लाकर खड़ा कर सकता है। 

इसके साथ ही, डॉ. गुप्ता ने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो लोगों को करीब ला सकती हैं। विशेषकर हमारे बीच में सांस्कृतिक समानता है, इसके मेलजोल से हम सही दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। जिससे दोनों पड़ोसियों के संबंध अच्छे हो सकते हैं और लोगों के बीच संवाद बढ़ सकता है। 

(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)  

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