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चीन की ‘टू-सेशंस मीटिंग’ क्यों है अहम, जानिए क्यों 2025 में भी दुनिया के केंद्र में रहेगा चीन

इंटरनेशनल डेस्क : चीन में हर साल मार्च के पहले हफ्ते में राजधानी पेइचिंग में दो प्रमुख संसदीय सत्र होते हैं, जिस पर न केवल चीन के लोगों की बल्कि दुनिया भर की नजर होती है, क्योंकि चीन की टू-सेशंस मीटिंग बेहद खास होती है, जिसमें 5 हजार से ज्यादा जन प्रतिनिधि जुटते हैं। जिसमें.

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इंटरनेशनल डेस्क : चीन में हर साल मार्च के पहले हफ्ते में राजधानी पेइचिंग में दो प्रमुख संसदीय सत्र होते हैं, जिस पर न केवल चीन के लोगों की बल्कि दुनिया भर की नजर होती है, क्योंकि चीन की टू-सेशंस मीटिंग बेहद खास होती है, जिसमें 5 हजार से ज्यादा जन प्रतिनिधि जुटते हैं। जिसमें देश और दुनिया के सभी मसलों पर चर्चा होती है। इस सत्र में चीन के प्रधानमंत्री सरकारी कार्यों की रिपोर्ट भी पेश करते हैं, जिसमें पिछले साल की सरकारी गतिविधियों का हिसाब होता है तो अगले साल का प्लान बताया जाता है। इसके अलावा इस बैठक में देश में होने वाले नवाचारों और विदेश नीति पर भी खास फोकस किया जाता है। इस बार के सत्र में भी अहम मसलों पर चर्चा हुई है। खासतौर पर चीनी सरकार ने उच्च गुणवत्ता वाले आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसमें तकनीकी नवाचार AI भी शामिल है। इसके अलावा चीन ने अपने आर्थिक विकास के लिए भी ऐसी नीतियां बनाई हैं, जिस पर दुनिया पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। 

चीन ने 5 प्रतिशत GDP वृद्धि का लक्ष्य रखा 

चीन की दो सत्रोंकी बैठकें जिसे नेशनल पीपुल्स कांग्रेस और चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस के नाम से भी जाना जाता है, इस बार की बैठक में आर्थिक नीतियों और विकास योजनाओं पर 2025 के लिए प्लान बनाया है। चीनी सरकार ने 2024 की तरह 2025 में भी चीन की GDP में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया है। दो सत्रों की बैठक में चीन ने साल 2024 का जो लेखा-जोखा पेश किया है, उसमें बताया गया कि चीन ने 5 प्रतिशत की जीडीपी के साथ आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य रखा था, जो कि आर्थिक मंदी के बावजूद स्थिर और सतत विकास की दर से आगे बढ़ा है। जिसके चलते चीन ने 2024 में कई अहम उपलब्धियां भी हासिल की हैं, जबकि 2025 के लिए भी और उपयोगी प्लान से आगे बढ़ना तय किया है। 

आंतरिक बाजार को सशक्त करने पर फोकस

चीन उच्च गुणवत्ता वाले विकास पर फोकस कर रहा है, जिसमें चीनी सरकार ने घरेलू विस्तार का प्लान बनाया है, यानी आंतरिक बाजार को सशक्त करने के लिए चीन अब उपभोग और निवेश के बीच संतुलन बनाने में जुट गया है। यानि घरेलू स्तर पर जिस तरह की मांगें होगी उसी नीतियों को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे न केवल वैश्विक स्तर पर बाजार को भी सशक्त किया जा सकेगा बल्कि विदेशी निवेश में भी बाजारों को फायदा होगा, क्योंकि चीन ने 2024 में विदेशी निवेश के लिए बाजार पहुंच प्रतिबंधों को कम कर दिया और खुलेपन की नीतियों को बढ़ावा दिया है, जिससे चीन में अब वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी फायदा मिला है। 

चीन के आर्थिक विकास की संभावनाओं का दुनिया पर प्रभाव 

चीन की दो सत्रों की बैठक में आर्थिक विकास के लिए किए जा रहे उपायों पर भी चर्चा हुई है। दरअसल, पिछले कुछ समय में चीन ने अपनी विदेश व्यापार नीति में भी बदलाव किए हैं। क्योंकि चीन दुनिया की तेजी से बढ़ती दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसका सीधा असर विश्व व्यापार पर भी होता है। ऐसे में जब दुनिया उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रही है उस वक्त चीन ने सकारत्मक नीति अपनाई है। जिससे 2025 और उससे आगे, चीन के आर्थिक विकास की सकारात्मक संभावनाएँ दुनिया को कई तरह से लाभ पहुंचा सकती हैं। चीन दुनिया के 130 से ज्यादा देशों के साथ व्यापार करता है जो उसकी मजबूत अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा साधन है, ऐसे में चीन ने अपने मेन्यूफेक्चरिंग हव को मजबूत बनाया है। जिससे दुनिया को सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली चीजें मिलती रही। इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स, बैटरियों और ग्रीन एनर्जी उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि से वैश्विक बाजार को स्थिरता मिलेगी, यानी महंगाई पर भी नियंत्रण हो सके और सभी देशों को व्यापार का बेहतर अवसर मिल सके। चीन के इस प्रभाव से न केवल व्यापारिक अवसर बनने की उम्मीद है बल्कि बड़े स्तर पर नौकरियां भी मिलने की संभावना है। 

डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

चीन डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में जुटा है, जहां 5G, इंटरनेट ऑफ थिंग्स के साथ-साथ स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग और कार्बन न्यूट्रलिटी लक्ष्यों के तहत नई तकनीकों का तेजी से विकास किया जा रहा है, इसके अलावा स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए भी अच्छी नीतियां बनाई जा रही है, जिससे उद्यम पूंजी निवेश, व्यापार अनुकूल नीतियों और बौद्धिक संपदा संरक्षण को मजबूती मिलने की संभावना है। ऐसे में कहा जा सकता है कि चीन की नवाचार-आधारित आर्थिक विकास रणनीति सराहनीय है, जिससे न केवल पर्यावरण को फायदा होगा बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता देकर यह अपनी अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ा रहा है, साथ ही साथ वैश्विक आर्थिक संतुलन में भी महत्वपूर्ण योगदान चीन की तरफ से हो रहा है। 

बेरोजगारी दर भी स्थिर रही

चीन की दो सत्रों की बैठक में चर्चा हुई कि विदेशी व्यापार के निर्यात में 3-5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई है। भले ही यह वैश्विक मांग में गिरावट के चलते कम है, लेकिन चीन के नजरिए से यह स्थिरता को बताती है। बेरोजगारी दर लगभग 5 प्रतिशत रही है यह भी अपेक्षाकृत स्थिर है, यह वजह है कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही और उपभोक्ता बाजार संतुलित बना रहा। जिससे चीन ने 2024 में अच्छे लक्ष्य हासिल किए हैं। 

2025 में भी प्रमुख केंद्र रहेगा चीन 

चीन अगर निवेश को बढ़ाने और वैश्विक सहयोग को मजबूत करने में सफल होता है तो 2025 में भी चीन एक प्रमुख आर्थिक शक्ति का केंद्र दुनिया में बना रहेगा। चीन का आर्थिक विकास न केवल चीन के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद साबित होगा। चीन अगर अपनी नवाचार-आधारित, हरित और उच्च-गुणवत्ता वाली आर्थिक नीतियों को जारी रखता है, तो यह पूरे विश्व की आर्थिक समृद्धि और सतत विकास में योगदान देगा। चीनी सरकार ने इसी लक्ष्य के साथ 2025 में भी आगे बढ़ने पर फोकस करने की बात कही है, जो चीन के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद साबित होगी।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) (लेखक—दिव्या तिवारी)

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