परत दर परत अमेरिकी आधिपत्य का पर्दाफाश

19 फरवरी को, अमेरिका में कुछ युद्ध-विरोधी लोगों ने वाशिंगटन में एक रैली आयोजित की, जिसमें अमेरिका से यूक्रेन को सैन्य सहायता प्रदान करना बंद करने की मांग की गयी और नाटो के विघटन का आह्वान किया गया। हालांकि, एक दिन बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडन ने यूक्रेन का अचानक दौरा किया और यूक्रेन को.

19 फरवरी को, अमेरिका में कुछ युद्ध-विरोधी लोगों ने वाशिंगटन में एक रैली आयोजित की, जिसमें अमेरिका से यूक्रेन को सैन्य सहायता प्रदान करना बंद करने की मांग की गयी और नाटो के विघटन का आह्वान किया गया। हालांकि, एक दिन बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडन ने यूक्रेन का अचानक दौरा किया और यूक्रेन को हथियारों और उपकरणों सहित 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान करने की घोषणा की। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पिछले एक साल में रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते संघर्ष के पीछे अमेरिका का हाथ है, जो आज का सबसे बड़ा आधिपत्य वाला देश है।

20 फरवरी को चीन द्वारा जारी “अमेरिकी आधिपत्य, बदमाशी और इसका नुकसान” नामक रिपोर्ट ने तथ्यों को सूचीबद्ध करके राजनीति, सैन्य, अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और संस्कृति के पांच स्तरों से अमेरिकी आधिपत्य के पांच चेहरों को दर्शाया। उदाहरण के लिए, राजनीतिक आधिपत्य को लें। 1823 की शुरुआत में, अमेरिका ने लैटिन अमेरिकी देशों में अपने काले हाथों को सफेद करने के लिए “अमेरिका अमेरिकियों का अमेरिका है” नाम का उपयोग करते हुए “मुनरो घोषणा” जारी की। तब से, क्रमिक अमेरिकी सरकारों ने लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के खिलाफ या तो राजनीतिक दबाव, आर्थिक दमन, या केवल सैन्य हस्तक्षेप और शासन विध्वंस को लागू किया है। इतना ही नहीं, यूरेशिया में “रंग क्रांति” भड़काने से लेकर पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में “अरब स्प्रिंग” भड़काने तक, अमेरिका ने तथाकथित लोकतंत्र और मानवाधिकारों के बैनर तले अन्य देशों और विश्व व्यवस्था को पुनः स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन उनके कारण जो हुआ वह अराजकता और आपदा थी।

राजनीतिक आधिपत्य अक्सर सैन्य साधनों के साथ होता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति कार्टर ने एक बार स्पष्ट रूप से कहा था कि अमेरिका दुनिया का सबसे युद्धप्रिय देश है। टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की शोध रिपोर्ट के मुताबिक, 1776 से 2019 तक, अमेरिका ने दुनिया भर में लगभग 400 सैन्य हस्तक्षेप किए। अफगानिस्तान से लेकर इराक तक, आक्रामक अमेरिकी सैन्य आधिपत्य ने अनगिनत मानवीय त्रासदियों को जन्म दिया है। 2012 से अकेले सीरियाई शरणार्थियों की संख्या में दस गुना वृद्धि हुई है। अमेरिका का इतिहास हिंसा और विस्तार का इतिहास है।

पिछले तीन वर्षों में, कोविड-19 महामारी के प्रकोप से अमेरिका ने अपने वैश्विक वित्तीय आधिपत्य का दुरुपयोग किया और खरबों डॉलर वैश्विक बाजार में डाले हैं, लेकिन अन्य देशों, विशेष रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने बिल का भुगतान किया है। बस 2022 में, फेडरल रिजर्व अपनी अति-ढीली मौद्रिक नीति को समाप्त किया और एक आक्रामक ब्याज दर वृद्धि नीति की ओर मुड़ गया, जो अल्पावधि में अमेरिकी डॉलर को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजार में उथल-पुथल और तेज मूल्यह्रास हुआ और यूरो और अन्य मुद्राओं में 20 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। नतीजतन, कई विकासशील देशों को गंभीर मुद्रास्फीति, मुद्रा मूल्यह्रास और पूंजी के बहिर्वाह का सामना करना पड़ा। तथाकथित “डॉलर आधिपत्य” इससे ज्यादा कुछ नहीं है।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के क्षेत्र में, अमेरिका भी “चिप एलायंस” और “क्लीन नेटवर्क” जैसे तकनीकी “समूह” बनाने से लेकर अन्य देशों पर हमला करने के लिए झूठी सूचनाएं गढ़ने और भ्रमित करने के लिए मीडिया में हेराफेरी करने के लिए उग्र है। 2022 के अंत में ट्विटर के सीईओ मस्क ने कहा कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सामग्री को सेंसर करने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ सहयोग करते हैं। अमेरिका द्वारा प्रचारित तथाकथित “प्रेस स्वतंत्रता” एक आवरण के अलावा और कुछ नहीं है। तथ्यों ने साबित कर दिया है कि अमेरिका आधिपत्य की तलाश करने, आधिपत्य को बनाए रखने और आधिपत्य का दुरुपयोग करने की पूरी कोशिश करता है। आधिपत्य के लिए, दूसरे देशों की सुरक्षा, दूसरे देशों के विकास और दूसरे देशों की भलाई को नुकसान पहुंचाता है। दूसरों को नुकसान पहुंचाने और खुद को लाभ पाने की अमेरिका की इन कार्रवाइयों ने तेजी से कड़ी आलोचना और विरोध पैदा हुआ है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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