मौखिक लोकतंत्र और मानवाधिकार बेअर्थ है

कुछ पश्चिमियों के विचार में केवल पश्चिमी प्रणाली ही वास्तविक लोकतंत्रीय प्रणाली है, और केवल ऐसी राजनीतिक व्यवस्था मानवाधिकार की रक्षा कर सकती है। अन्यथा, लोकतंत्र और मानवाधिकार की गारंटी सुनिश्चित नहीं है। लेकिन, वास्तविक दुनिया पर धैर्यपूर्वक नज़र डालें तो हम पाएंगे कि यह असत्य है। पश्चिमी लोकतंत्रों का एक स्तंभ बहुमत निर्णय का.

कुछ पश्चिमियों के विचार में केवल पश्चिमी प्रणाली ही वास्तविक लोकतंत्रीय प्रणाली है, और केवल ऐसी राजनीतिक व्यवस्था मानवाधिकार की रक्षा कर सकती है। अन्यथा, लोकतंत्र और मानवाधिकार की गारंटी सुनिश्चित नहीं है। लेकिन, वास्तविक दुनिया पर धैर्यपूर्वक नज़र डालें तो हम पाएंगे कि यह असत्य है। पश्चिमी लोकतंत्रों का एक स्तंभ बहुमत निर्णय का सिद्धांत है। लेकिन बहुमतों के द्वारा लगाये गये फैसले से अल्पसंख्यकों के अधिकारों और हितों का अक्सर उल्लंघन किया जाता है। उदाहरण के लिए, आज तक रेड इंडिन्यस और अफ्रीकी अमेरिकियों जैसे अल्पसंख्यक लोग भेदभाव से ग्रस्त रहते हैं। दूसरी मिसाल है कि आज रेड इंडिन्यस के लोगों को आरक्षण क्षेत्रों में भगा दिया गया है, और उन्हें अपने मूल अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ा है।

उधर, अफ्रीकी अमेरिकियों सहित सभी अल्पसंख्यक लोगों की संख्या अभी भी कम है। हालाँकि, लोकतांत्रिक प्रणाली के अनुसार सभी कानून और नीतियां बहुमतों के द्वारा तैयार की जाती हैं, और अल्पसंख्यकों की इच्छा और हितों को संवैधानिक प्रणाली में प्रतिबिंबित नहीं किया जा सकता है। यदि किसी एक देश में सभी राजनीतिक और कानूनी प्रणालियाँ केवल श्वेत उच्च वर्ग द्वारा तैयार की जाती हैं, जबकि अन्य अल्पसंख्यकों को छोड़ दिया जाता है, तो ऐसी राजनीति कोई वास्तविक लोकतंत्र नहीं है, जो वास्तव में मानवाधिकारों की रक्षा नहीं कर सकती है। हम देखते रहे हैं कि किसी देश में अश्वेतों समेत जातीय अल्पसंख्यक अक्सर व्यवस्थित नस्लीय भेदभाव से पीड़ित होते हैं, और वे अक्सर गोलीबारी, पुलिस क्रूरता और अकारण नफरत के हमलों के शिकार होते रहे हैं।

इधर के वर्षों में सूपरपावर ने मध्य पूर्व और अफगानिस्तान आदि में कई आतंकवाद-विरोधी सैन्य अभियान किये, जिनसे हजारों लोगों को मारा डाला गया और लाखों लोग बेघर हो गये हैं। इससे भी अधिक असहनीय बात यह है कि उस ने दुनिया भर में सैकड़ों गुप्त जैविक प्रयोगशालाओं और अनुसंधान संस्थानों की स्थापना की है, और इनमें अधिकांश शोध गुप्तचार हैं। और व्यापक संदिग्ध फोर्ट डिट्रिक बायोलॉजिकल लेबोरेटरी की जांच करने की अनुमति अभी तक नहीं दी गयी है। दूसरी ओर, अपने घरेलू कानून के अनुसार दूसरे देशों के लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लेने और अन्य देशों की संपत्ति को जब्द करने से भी दूसरे देशों के लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन किया गया है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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