राजनयिक संबंधों की बहाली के बाद नाउरू के राष्ट्रपति की पहली चीन यात्रा क्या संदेश देती है ?

नाउरू के राष्ट्रपति डेविड रानिबोक एडियांग ने 24 से 29 मार्च तक चीन की राजकीय यात्रा की। इस साल जनवरी में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध फिर से शुरू होने के बाद से यह नाउरू के राष्ट्रपति की पहली चीन यात्रा है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने राष्ट्रपति एडियांग के साथ मुलाकात की। उन्होंने.

नाउरू के राष्ट्रपति डेविड रानिबोक एडियांग ने 24 से 29 मार्च तक चीन की राजकीय यात्रा की। इस साल जनवरी में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध फिर से शुरू होने के बाद से यह नाउरू के राष्ट्रपति की पहली चीन यात्रा है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने राष्ट्रपति एडियांग के साथ मुलाकात की। उन्होंने कहा कि जब तक मैत्रीपूर्ण संबंध रहेंगे तब तक भविष्य उज्ज्वल रहेगा।  जब तक सहयोग ईमानदार रहेंगे, तब तक फलदायी परिणाम मिलेंगे। राष्ट्रपति एडियांग ने चीन द्वारा हमेशा छोटे या बड़े सभी देशों के लिए समानता के सिद्धांत का पालन करने की सराहना की, और एक-चीन सिद्धांत का पालन करने और चीन के साथ सहयोग को लगातार गहरा करने की इच्छा व्यक्त की। इस बातचीत में ढेर सारी जानकारी दी गई।

मुलाकात में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने एडियांग से कहा, ”दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में हमारे कई पुराने दोस्त हैं और अब हमारे पास आप जैसा एक नया दोस्त है। मैं बहुत खुश हूं।” इस तरह की समान दोस्ती प्रशांत द्वीप देशों के लिए बहुत कीमती है। जैसा कि समोआ के एक पत्रकार ने कहा, “प्रशांत देश एक बड़ा परिवार हैं। चीन के साथ सहयोग नाउरू और पूरे प्रशांत क्षेत्र के लिए फ़ायदेमंद है।”

चीन और नाउरू के बीच राजनयिक संबंधों की बहाली के बाद से, एक-चीन सिद्धांत हमेशा ही द्विपक्षीय संबंधों के विकास की आधारशिला रहा है। राष्ट्रपति एडियांग की चीन यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने इस सिद्धांत की फिर से पुष्टि की। राष्ट्रपति एडियांग ने चीन के साथ राजनयिक संबंधों की बहाली को “इतिहास के सही पक्ष पर खड़ा” बताया और कहा कि यह “चीन-नाउरू संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर” है। इससे एक बार फिर पता चलता है कि एक-चीन सिद्धांत दुनिया की आम सहमति बन गया है। साथ ही, राष्ट्रपति नाउरू की चीन यात्रा ने थाईवान को यह भी याद दिलाया कि एक-चीन सिद्धांत सामान्य प्रवृत्ति है और उसे जल्द से जल्द सही विकल्प चुनना चाहिए।

चीन और नाउरू दोनों विकासशील देश हैं और दोनों को विकास कार्यों का सामना करना पड़ता है। नाउरू की अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत सरल है, जो संसाधन निर्यात और पर्यटन पर निर्भर है। जबकि चीन के पास एक पूर्ण औद्योगिक श्रृंखला है और बुनियादी ढांचे, अर्थव्यवस्था और व्यापार आदि क्षेत्रों में नाउरू के साथ पूरक लाभ प्राप्त कर सकता है। 

चीन नाउरू में विकास के कई अवसर लेकर आया है। उदाहरण के लिए, चीन ने पोर्ट इवो मरीना को अपग्रेड करके नाउरू की कार्गो क्षमता में सुधार किया है, और स्थानीय लोगों के लिए उन्नत तकनीक और रोजगार के अवसर लाए हैं। इसके अलावा, चीन फोटोवोल्टिक बिजली उत्पादन, ऊर्जा भंडारण प्रणाली परियोजनाओं और रोपण तकनीक के माध्यम से नाउरू के विकास में भी मदद कर रहा है। नाउरू के लोगों ने चीन के साथ सहयोग के लिए अपनी उम्मीदें व्यक्त की हैं। उम्मीद है कि और अधिक चीनी कंपनियां नाउरू में निवेश करेंगी, और नाउरू और ज्यादा चीनी पर्यटकों का स्वागत करता है।

राष्ट्रपति एडियांग की चीन यात्रा के दौरान, नाउरू एक और देश बन गया जिसने “बेल्ट एंड रोड” के निर्माण पर चीन के साथ सहयोग दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए। संयुक्त बयान के अनुसार, चीन नाउरू के साथ बेल्ट एंड रोड पहल की डॉकिंग को मज़बूत करने, व्यापार और निवेश, बुनियादी ढांचे के निर्माण, कृषि और मत्स्य पालन, खनिज वैज्ञानिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग का विस्तार करने को तैयार है।

“बेल्ट एंड रोड” के संयुक्त निर्माण की पहल से प्रशांत क्षेत्र के कई देशों के आर्थिक स्तर और लोगों की आजीविका में सुधार हुआ है, जिसे नाउरू सरकार और लोगों ने मान्यता दी है। चीन और नाउरू ने समुद्री जल को मीठा बनाने, हरित ऊर्जा, परिपत्र अर्थव्यवस्था के विकास और अन्य पहलुओं में सहयोग किया है, जिनसे दोनों देशों के संबंधों को गहरा करने में नई गति आई है।

विशाल प्रशांत महासागर चीन और नाउरू को जोड़ता है। नाउरू और चीन दोनों “ग्लोबल साउथ” के सदस्य हैं। दोनों देशों के बीच सक्रिय सहयोग प्रशांत द्वीप देशों में शांति और विकास को बढ़ावा देगा, दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देगा और विकासशील देशों के अधिकारों और हितों की रक्षा और विस्तार करेगा। यह मानव जाति साझा भविष्य वाले समुदाय के निर्माण के लक्ष्य के अनुरूप भी है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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