जम्मू में दशहरे के लिए पुतले बनाने के लिए उत्तर प्रदेश से पहुंचे कारीगर

जम्मू: दशहरे का पर्व करीब है ऐसे में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुस्लिम कारीगर अपने हिंदू सहर्किमयों के साथ जम्मू पहुंच गए हैं। ‘श्री सनातम धर्म सभा गीता भवन’ के निमंत्रण पर 23 सितंबर को मेरठ जिले के एक गांव से 50 से अधिक कारीगर जम्मू पहुंचे।.

जम्मू: दशहरे का पर्व करीब है ऐसे में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुस्लिम कारीगर अपने हिंदू सहर्किमयों के साथ जम्मू पहुंच गए हैं। ‘श्री सनातम धर्म सभा गीता भवन’ के निमंत्रण पर 23 सितंबर को मेरठ जिले के एक गांव से 50 से अधिक कारीगर जम्मू पहुंचे। प्रमुख ठेकेदार मोहम्मद रेहान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम पिछले 38 वर्षों से दशहरे के लिए पुतले बनाने के वास्ते गीता भवन आ रहे हैं जहां लद्दाख के लेह के अलावा जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों के लिए पुतले बनाए जाते हैं।”

जम्मू के परेड मैदान में दशहरा के मुख्य कार्यक्रम का आयोजन होगा। बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास अखनूर, आरएस पुरा एवं बिश्नाह में पुतले जलाए जाएंगे। इसके अलावा गांधी नगर, रेलवे स्टेशन के पास, चन्नी तथा सैनिक कॉलोनी सहित शहर के कई अन्य स्थानों पर भी रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाने का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

ये कारीगर 50 फुट से अधिक ऊंचाई वाले बांस के दर्जनों विशाल पुतलों को बनाने का काम कर रहे हैं। रेहान ने कहा कि सभी कारीगर एक साथ काम करते हुए बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं। एक दर्जन मुस्लिम कारीगरों के अलावा 40 से अधिक हिंदू करीगर भी काम कर रहे हैं जिसमें हरिजन और कश्यप ठाकुर कारीगर भी शामिल है।

उन्होंने मंदिर प्रबंधन की सराहना करते हुए कहा, “हम एक साथ काम करते हैं और बिना किसी भेदभाव के अपना भोजन बांटते हैं। ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’… हम इसी उदाहरण के साथ जीवन जी रहे हैं।” रेहान के दामाद मोहम्मद गयासुद्दीन ने कहा कि पीढि़यों से कारीगर जम्मू आ रहे हैं और उनके दादा मोहम्मद सिराजुद्दीन भी उनमें से एक थे।

उन्होंने कहा, “हम इस परंपरा को जीवित रख रहे हैं। जम्मू के लोग हमारा गर्मजोशी से स्वागत करते हैं और हम भी इस अवसर का बेसब्री से इंतजार करते हैं। हमारे कुछ (हिंदू) सहकर्मी जम्मू में काम की इस यात्रा के दौरान माता वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन भी करते हैं।” अपने भाई और बेटे के साथ आए जसबीर ने कहा कि वे दशकों से एक दल के रूप में काम कर रहे हैं और उन्हें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है। उन्होंने कहा, “मैं रेहान के साथ वर्ष 1998 से यहां आ रहा हूं। हमारे अन्य दल दिल्ली और पंजाब में काम कर रहे हैं।”

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