कारगिल विजय दिवस पर विशेष: शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मिटने वालों का बाकि यही निशां होगा

जम्मू: या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा अथवा विजयश्री प्राप्त कर पृथ्वी का राज भोगेगा, गीता के इस श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पांव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। भारत देश सन 1947 में आजाद तो हो गया था,.

जम्मू: या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा अथवा विजयश्री प्राप्त कर पृथ्वी का राज भोगेगा, गीता के इस श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पांव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। भारत देश सन 1947 में आजाद तो हो गया था, लेकिन यह आजादी भारत को पाकिस्तान से अलग होने की कीमत पर मिली थी। पाकिस्तान हिन्दुस्तान से अलग हो गया, लेकिन पाक की नापाक मांग के बावजूद ‘कश्मीर’ आज भी भारत का ताज बना हुआ है और भारत के ताज कश्मीर का हतियाने की पाकिस्तान की सभी नापाक हरकतों को भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया।

कई सालों तक पाकिस्तान ने कश्मीर को छीनने की कई काशिशें की, लेकिन वर्ष 1999 में उसे ऐसी मुंह की खानी पड़ी फिर उसे दोबारा कभी भारत की तरफ मुड़ कर नहीं देखा। कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक महत्वपूर्ण युद्ध माना जाता है जो भारतीय सैनिकों की वीरता के लिए सदैव याद रखा जाएगा। आर्टिलरी ने आपरेशन विजय में दिया था बड़ा योगदान आपरेशन विजय में आर्टिलरी ने बड़ा योगदान दिया था, आर्टिलरी की बदौलत कारगिल विजय संभव हो सकी थी। कारगिल युद्ध में आर्टिलरी ने अहम बलिदान दिया।

युद्ध में आर्टिलरी के तीन अधिकारी व 32 बहादुर सिपाहियों ने दुश्मनों से लोहा लेते हुए अपनी जान की बाजी लगा दी जबकि इस युद्ध में पाकिस्तान के 69 अधिकारी एवं 772 जवान भी मारे गए तथा 1000 पाकिस्तानी सैनिक घायल हो गए थे। आर्टिलरी के युवा कंपनी कमांडर ने जवानों का नेतृत्व करते हुए बहादुरी का उदाहरण देकर जवानों का हौसला बढ़ाया था। इस साहस व वीरता के लिए सेना प्रमुख द्वारा 11 इन्फैंटरी बटालियन, आर्टिलरी रेजीमैंट की तीन यूनिटों, 141 फील्ड रेजीमैंट, 197 फील्ड रेजीमैंट, 108 मीडियम रेजीमैंटों को विशेष अवार्ड से सम्मानित किया गया।

कारगिल युद्ध का इतिहास
उल्लेखनीय है कि मई 1999 में पाकिस्तानी सेना ने कारगिल जिले के द्रास सैक्टर में भारतीय सीमाओं में घुसपैठ कर दी थी। भारतीय सेना ने पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया। करीब 2 महीने तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना के 527 अधिकारी एवं जवान शहीद हुए तथा 1363 सैनिक घायल हो गए, जिनमें जम्मू-कश्मीर के 71 वीर शामिल थे, लेकिन अंत में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और अंत में जीत भारत की हुई।

आपरेशन विजय की सफलता के बाद इस दिन को विजय दिवस का नाम दिया गया। विश्व के इतिहास में कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग की घटनाओं में शामिल है। कारगिल विजय दिवस के दिन उन शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए मातृमि की रक्षा के लिए हसंते-हसंते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। यह दिन उन महान सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने अपना आज हमारे आने वाले सुखद कल के लिए बलिदान कर दिया।

कारगिल युद्ध में 25 लाख शैल, बम एवं रॉकेटों का हुआ था इस्तेमाल
आर्टिलरी ने कारगिल युद्ध के दौरान 25 लाख शैल, बम एवं रॉकेट का इस्तेमाल किया था। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार आर्टिलरी द्वारा रोजाना 300 बंदूकों, मोर्टार व एम.बी.आर.एल.एल.,से 5 हजार शैल, मोर्टर बम तथा रॉकेट प्रयोग में लाए जाते थे। युद्ध की विकट परिस्थितियों में दुश्मनों की गोलाबारी के दौरान जवानों के पास खाना खाने का भी समय नहीं था। इस युद्ध में दुश्मन सेना के 80 प्रतिशत तक जवानों को मौत के घाट उतार दिया गया था।

भारत ने कारगिल युद्ध से नहीं ली कोई सीख
कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा के जरिए बड़े पैमाने पर भारत में घुसपैठ कर रही थी। नियंत्रण रेखा के आस-पास बर्फीला दुर्गम क्षेत्र होने के कारण शुरूआती चरण में भारत को घुसपैठ की भनक भी नहीं लग पाई थी। पाकिस्तान जानता है कि भारत नियंत्रण रेखा पर कभी आक्रमकता नहीं अपनाएगा। ऐसी ही खामियों के चलते आज भी कश्मीर में आंतकी घुसपैठ करते रहते हैं। हर साल की तरह एक बार फिर 26 जुलाई को हम सब देशवासी कारगिल युद्ध के शहीदों को याद करेंगे,लेकिन शायद यह सब मात्र खानापूर्ति से अधिक न हो। देश में आज भी कई शहीदों के परिवार वाले सरकारी सहायता के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

धीमी गति से चलती सरकारी योजनाओं का लाभ अक्सर इन शहीदों के परिवारों को बहुत देर बाद नसीब होता है और कभी-कभी तो वह लाभ से वंचित ही रह जाते हैं। शायद यही कारण है कि देश के आधे से ज्यादा युवक सैनिक के रूप में अपना जीवन देखना पसंद नहीं करते। देश की सरकार को इस तरपफ ध्यान देना चाहिए ताकि देश के युवाओं में देश प्रेम की भावना सदैव रहे और भारत देश को अधिक से अधिक वीर जवान मिल सके। देश की सरकार को इस तरफ ध्यान देना चााहिए ताकि देश के युवाओं में देशप्रेम की भावना सदैव जलती रहे और भारत देश को अधिक से अधिक वीर जवान मिल सकें।

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