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हाथों में हथकड़ियां, पैरों में बेड़ियां…लाखों का कर्ज लेकर गए अमरीका, पंजाब लौटे युवकों ने बताई दर्द भरी कहानी

Punjabi Deported From America : अमरीका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीय नागरिकों को कैदियों की तरह विमान में भरकर लाया गया। सभी लोगों के हाथों में हथकड़ी और पैर बेड़ियों से बंधे हुए थे। भारतीय लोगों के साथ ऐसा सलूक किया गया, जैसे वह खूंखार अपराधी हो। चाहे कुछ भी हो पर डंकी बनकर.

Punjabi Deported From America : अमरीका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीय नागरिकों को कैदियों की तरह विमान में भरकर लाया गया। सभी लोगों के हाथों में हथकड़ी और पैर बेड़ियों से बंधे हुए थे। भारतीय लोगों के साथ ऐसा सलूक किया गया, जैसे वह खूंखार अपराधी हो। चाहे कुछ भी हो पर डंकी बनकर अमरीका गए लोगों के चेहरे पर अब भविष्य की चिंता साफ झलक रही है। चाहे पैसों के लालच में एजैंटों ने इन युवाओं को गलत रास्ते से अमरीका भेजा हो। लेकिन, ट्रंप सरकार ने एक बात साफ कर दी है कि अब डंकी का रास्ता नहीं चलने वाला। कानून और सख्त होंगे तथा ऐसा रास्ता अपनाने वाले युवाओं को अब सोचना होगा। सही रास्ता चुने और सुरक्षित रहे।

डिपोर्ट किए गए लाेगाें में 30 पंजाब के रहने वाले

104 भारतीयों में शामिल पंजाब के लोगों के परिजनों ने कहा कि उन्होंने सुनहरे भविष्य की उम्मीद में अपने परिजन को अमेरिका भेजने के लिए भारी-भरकम राशि उधार ली, लेकिन अब इन लोगों को स्वदेश भेजे जाने के कारण उन्हें लगता है कि वह कर्ज के बोझ से कभी मुक्त नहीं हो पाएंगे। परिजनों ने आरोप लगाया कि ट्रैवल एजेंट ने उनके परिजन को अमेरिका भेजने के लिए अनुचित तरीके अपनाए, जिससे वे अनजान थे। उन्होंने इन एजेंट के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की हैं। पंजाब सहित विभिन्न राज्यों के 104 अवैध प्रवासियों को लेकर अमेरिका का एक सैन्य विमान बुधवार दोपहर अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा। यह अमेरिका के ट्रंप प्रशासन की ओर से निर्वासित भारतीयों का पहला जत्था है। इसमें 33-33 लोग हरियाणा एवं गुजरात, 30 पंजाब, 3-3 महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश तथा 2 चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक, निर्वासित किए गए लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल हैं। अमरीकी सरकार द्वारा निर्वासित भारतीयों का यह पहला जत्था है। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक वार्ता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा से कुछ ही दिन पहले यह कार्रवाई हुई है।

डिपोर्ट किए गए 104 युवाओं में से 33 युवा हरियाणा के

अमरीका से जिन 104 युवाओं को डिपोर्ट किया गया है, उनमें हरियाणा के 33 युवा शामिल हैं, जिनमें निशांत, सुखदीप सिंह, अभिषेक, साहिल, विकास कुमार, नितेश वालिया, खुशप्रीत सिंह, मनदीप, रोबिन होंडा, जगतार सिंह, रोहित शर्मा, पैरिस, गगनप्रीत सिंह, जगतार सिंह, शिवम, तमन्न नेने, सुभम सैनी, अनुज, योगेश आर्य, अमन कुमार, अजय, अंकित, अक्षय, आकाश, जतिन केनवाल, ओमी देवी, काजल केनवाल, परमजीत सिंह, साहिब सिंह, मनिंदर कौर, सुमित सिंह, मनोज और अंकित शामिल हैं।

41 लाख का लिया कर्ज..बेची जमीन, फिर डिपोर्ट हुआ का मोहाली प्रदीप

डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों में मोहाली का प्रदीप भी शामिल है। प्रदीप को विदेश भेजने के लिए परिवार ने कर्ज लिया था। हालांकि वह अवैध तरीके से अमरीका गया था। लालड़ के गांव जडौत के प्रदीप (23) का परिवार अब परेशान है। परिवार काे अब सिर पर चढ़े कर्ज की चिंता सता रही है। प्रदीप की दादी गुरमीत कौर, मां नरिंदर कौर उर्फ रानी, पिता कुलबीर ने उदास मन से बताया कि 6 महीने पहले उन्होंने जमीन बेचकर और कर्ज लेकर 41 लाख खर्च कर बेटे प्रदीप को अमरीका भेजा था।

10 महीने पहले 42 लाख कर्ज लेकर अमरीका गया था हरविंदर

गांव टाहली का हरविंदर सिंह को अमरीका से डिपोर्ट किया गया है। हरविंदर की पत्नी कुलजिंदर कौर ने बताया कि उसके पति 10 महीने पहले डंकी के जरिए अमरीका गए थे। उन्हें बुधवार सुबह पता चला कि उन्हें डिपोर्ट किया गया। उन्होंने बताया कि पहले तो उनसे बात होती थी, लेकिन 15 जनवरी से वह हमारे संपर्क में नहीं थे। अमरीका जाने के लिए उन्होंने 42 लाख का कर्ज लिया था। परिवार में हरविंदर व उसका भाई कमाने वाले है। दोनों ही खेती करते थे। उनकी बेटी 12 साल व बेटा 13 साल है। कुलजिंदर कौर ने बताया कि 42 लाख रुपए लेने के बावजूद गांव के ही एक एजैंट ने उन्हें कानूनी तरीके से भेजने की बजाय धोखे से डंकी लगाकर भेज दिया। उसके पति ने 15 जनवरी को उसे संदेश भेजकर बताया कि वह अमरीकी सीमा पार कर चुका है। इसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका और आज उन्हें उनके स्वदेश लौटने की सूचना मिली।

5 दिन पहले अमरीका पहुंचा था बेटा

अमृतसर के गांव राजताल के रहने वाले 23 साल के आकाशदीप सिंह के पिता स्वर्ण सिंह ने कहा कि बेटे के अमरीका जाने के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी 2.5 एकड़ में से 2 एकड़ जमीन बेच दी थी। पंजाब पुलिस से उन्हें बेटे के डिपोर्ट होने का पता चला। उनके बेटे ने 12वीं पास करने के बाद कनाडा जाने के लिए स्टडी वीजा की कोशिश की, लेकिन वह जरूरी बैंड नहीं ला सका। 2 साल के बाद वह दुबई गया। वहां 7 महीने ट्रक पर ड्राइवर रहा। इसके बाद दुबई के एक एजैंट के जरिए 55 लाख में अमरीका गया। वह 14 दिन पहले ही अमरीका पहुंचा था।

जगराओं की मुस्कान..पढ़ाई के लिए यूके गई और फिर अमरीका ने तोड़े सपना

जगराओं के प्रताप नगर की मुस्कान भी अमरीका से आने वालों में एक है। मुस्कान 1 साल पहले स्टडी वीजा पर यूके गई थी। पढ़ाई के दौरान मुस्कान व उसकी सहेलियों को एक एजैंट मिला और उसने अमरीका का बॉर्डर पार करवाया तथा वे अमरीका में दाखिल हो गई। करीब एक महीने से अमरीका में रह रही मुस्कान को वहां से वापस घर लौटने के बाद उसके पिता जगदीश कुमार सहित परिवार के बाकी सदस्यों का रो-रो कर बुरा हाल है। परिवार के मुताबिक उनके घर चार बेटियां हैं, जिसमें से मुस्कान सबसे बड़ी थी और विदेश में सैट होने का सपना लिए ही यूके गई थी।

टूरिस्ट वीजा पर गया यूरोप.. डंकी रूट से अमरीका पहुंचा नवांशहर का मनप्रीत

इसमें नवांशहर के 2 युवक भी शामिल हैं। उनमें से एक की पहचान नवांशहर के गांव सिंबल मजारा के मनप्रीत सिंह (26) के रूप में हुई है। जबकि, दूसरा युवक सावन बंगा के गांव लड़ोआ का रहने वाला बताया जा रहा है। हालांकि उसके बारे में नवांशहर पुलिस को कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है। मनप्रीत सिंह पिछले साल दिसंबर में यूरोप का वीजा लगवाकर मालटा पहुंचा था। वहां से वह किसी तरह से अमरीका में घुसा था। अपने सुनहरे भविष्य की उम्मीद में ही मनप्रीत विदेश गया था। पिछले करीब 20 दिन से मनप्रीत का परिवार से कोई संपर्क नहीं हुआ था। मनप्रीत के रिश्ते में लगते मामा रणजीत सिंह ने बताया कि मनप्रीत यहां से तो यूरोप का वीजा लगवाकर घूमने गया था। वहां से वह आगे कैसे पहुंचा इस बारे में तो उसके वापस घर पहुंचने के बाद ही पता चल पाएगा। रणजीत सिंह ने बताया कि उसके कुछ दोस्त अमृतसर मनप्रीत को लेने गए हैं।

2 महीने पहले गया था डोगरांवाल का विक्रमजीत

थाना सुभानपुर के गांव डोगरांवाल का युवक डिपोर्ट किए गए पंजाब के 30 व्यक्तियों में से एक है। युवक के माता-पिता अमृतसर हवाई अड्डे से उसे लेने पहुंच गए हैं। घर में मौजूद उसके दादा हरमेल सिंह ने बताया कि उनके परिवार का 22 वर्षीय युवक विक्रमजीत सिंह 2 माह पहले रोजी रोटी के लिए अमरीका गया था। उसे अमरीका भेजने के लिए लाखों रुपए का कर्ज उठाया गया था। उन्होंने बताया कि घर के हालात बहुत बुरे हैं। विक्रमजीत सिंह अपनी 6 बहनों के इकलोता भाई है और भविष्य संवारने के लिए विदेश गया था।

6 माह पहले 42 लाख का खर्च करके गया था बहबल बहादर का युवक

सुल्तानपुर लोधी के गांव तरफ बहबल बहादर का रहने वाला गुरप्रीत सिंह जोकि यूएस से डिपोर्ट होकर आ रहा है। उसके पिता महिंदर सिंह, जोकि दिहाड़ीदार हैं का रो-रो कर बुरा हाल है। उन्हें मीडिया के जरिए पता चला कि उनका बेटा वापिस आ रहा है। उन्होंने बताया कि बेटे को 6 महीने पहले विदेश भेजने के लिए 42 लाख रुपए खर्च किए थे। 22 दिन पहले ही अमरीका के बेस कैंप में पहुंचा था। उसे विदेश भेजने के लिए घर गिरवी रखकर तथा कुछ रिश्तेदारों से रुपए उधार पकड़े थे। अब उनको सरकार से उम्मीद है कि उनके बेटे को पंजाब में ही कोई रोजगार दिलवा दें ताकि कर्जा उतार सके।

अच्छी नौकरी और पढ़ाई के लालच ने पहुंचाया अमरीका

अमरीका से डिपोर्ट हुए दिगोह वासी गगनप्रीत सिंह (24) के माता-पिता व छोटी बहन की आंखों से आंसू टपक रहे हैं। इकलौते बेटे के भविष्य को लेकर उसकी मां बार-बार बेहोश हो रही थी। दिगोह के सुखविंदर सिंह उर्फ काला ने अपने बेटे गगनप्रीत सिंह को विदेश में पढ़ाने और नौकरी करने के लिए सपने सजाए थे। उन्होंने अढ़ाई एकड़ जमीन बेचकर इंगलैंड का वीजा लगाया। इसके बाद गगनप्रीत ने एजैंट के झांसे में आकर डंकी के रास्ते से अमरीका पहुंच गया। जहां पर अवैध तरीके से एंट्री करने के चलते गगनप्रीत सिंह को कुछ दिन पहले ही हिरासत में ले लिया था। डिपोर्ट किए गए भारतीयों में एक फतेहाबाद जिले का है। डिपोर्ट की सूचना मिलने के बाद से इनके परिवार में भी खलबली मची हुई है।

जमीन बेचकर और 25 लाख का कर्ज लेकर बेटे को भेजा था अमरीका

अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरे निर्वासितों में से एक प्रदीप के परिवार के सदस्यों ने मोहाली जिले में बात करते हुए भगवंत मान सरकार से युवाओं को अमरीका भेजने के लिए उनके द्वारा लिए गए कर्ज को चुकाने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि उज्ज्वल भविष्य के लिए बेटे को अमरीका भेजने के लिए उन्हें अपनी जमीन बेचनी पड़ी और 20-25 लाख रुपए का कर्ज लेना पड़ा। सदस्यों ने कहा कि चूंकि उसे निर्वासित कर दिया गया है इसलिए या तो मान सरकार उन्हें अपना कर्ज चुकाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करें या युवाओं को सरकारी नौकरी दे।

एक साल के ‘वर्क परमिट’ पर इटली गया था होशियारपुर का सुखपाल, पहुंच गया अमेरिका

होशियारपुर के दारापुर गांव में कर्ज के बोझ तले दबे सुखपाल (35) के परिवार को अपना भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है। पेशे से शेफ सुखपाल अक्टूबर 2024 में एक साल के ‘वर्क परमिट’ पर इटली गया था। उसके परिवार ने कहा कि वह इस बात से पूरी तरह से अनजान है कि सुखपाल कैसे अमेरिका पहुंचा। सुखपाल के पिता प्रेम सैनी सरकारी स्कूल के अध्यापक रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि सुखपाल के वीजा के लिए सभी आवश्यक दस्तावेजों की व्यवस्था इटली में उनके रिश्तेदारों ने की थी। सैनी ने कहा, कि जहां तक हमें पता था, वह इटली में कानूनी रूप से शेफ के रूप में काम कर रहा था और उसके पास सभी वैध दस्तावेज थे। हमने उससे आखिरी बार लगभग 20-22 दिन पहले बात की थी और तब वह इटली में ही था। उसने कहीं और जाने के बारे में कोई जिक्र नहीं किया। उसके बाद से हमारी उससे कोई बातचीत नहीं हुई। सैनी ने कहा, कि आज हमें मीडिया से उसके निर्वासन के बारे में पता चला। हमें नहीं मालूम कि वह अमेरिका कब, कैसे और क्यों पहुंचा। उसके घर पहुंचने के बाद ही हमें उसकी अमेरिका यात्रा के पीछे की असली कहानी पता चलेगी।

पंजाब में विभिन्न जिलों से लौटे भारतीय नागरिकों की संख्या

फतेहगढ़ साहेब – 1
होशियारपुर – 2
लुधियाना – 2
अमृतसर – 5
गुरुदासपुर – 1
तरन तारन – 1
जालंधर – 4
कपूरथला – 6
पटियाला – 4
संगरूर – 1
एसएएस नगर – 1
एसबीएस नगर – 2

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