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नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर से 20 प्रतिशत लिवर कैंसर और सिरोसिस

पटियाला: स्थानीय मणिपाल हॉस्पिटल के डा. गुरबख्शीश सिंह सिद्धू सीनियर कंसलटैंट मैडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ने बुधवार को विश्व लिवर दिवस के अवसर पर बताया कि नान अल्कोहॉलिक फैटी लीवर से 20 प्रतिशत लीवर कैंसर व सिरोसिस होते हैं। डा. सिद्धू ने कहा कि विश्व लिवर दिवस को मनाने का मकसद लोगों को लीवर से जुड़ी समस्याओं से अवगत कराना और उनके प्रति जागरूक करना है।

उन्होंने कहा कि लिवर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, वहीं इसका कार्य भोजन को पचाना होता है। इसके अलावा लिवर पित्त बनाने के साथ-साथ शरीर से विषैले पदार्थ निकालने और बॉडी को डिटॉक्स करने के काम भी आता है। लिवर का काम ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने और प्रोटीन बनाने का भी होता है. ऐसे में लीवर का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है।

लिवर की कार्यप्रणाली के बिना जीवित रहना असंभव: डा.के अनुसार ‘मानव शरीर के पाचन तंत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाने वाला लिवर हमारे खाने-पीने की हर चीज को प्रोसैस करता है, जिसमें दवा भी शामिल है। लिवर की कार्यप्रणाली के बिना जीवित रहना असंभव है और यह एक ऐसा अंग है जिसे अच्छी तरह से बनाए रखने और देखभाल करने की आवश्यकता होती है। ऐसे में आप धूम्रपान, एल्कोहल, जंक फूड, प्रोसैस फूड, फास्ट फूड आदि से दूर रहें और नियमित व्यायाम करना चाहिए।

व्यायाम से लीवर की चर्बी भी कम हो सकती है। उन्होने कहा कि लिवर को स्वस्थ रखने के लिए वजन का नियंत्रित होना भी बेहद जरूरी है जो लोग मोटापे से परेशान हैं उनके शरीर में फैटी लिवर की समस्या बढ़ सकती है। परिवार वालों के साथ निजी चीजों को शेयर करते हैं जिससे भी लिवर से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए टूथब्रश, रीजन, नाखून कतरनी आदि को शेयर नहीं करना चाहिए।

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