न्यूयॉर्क: एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजों के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोड़ने का भी समय आ गया है। अमरीका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। पत्रिका मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया।
औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए। जो ‘कभी नहीं‘ या ‘शायद ही कभी‘ नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो कभी-कभी, आमतौर पर या हमेशा‘ नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमश: 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।
तुलाने यूनिवर्सटिी स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा कि हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।
यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।