हरिद्वार: इस दुनिया में ऐसा ही कोई होगा जिसे गाजर खाना पसंद नहीं हो, भारतीय विविध व्यंजन जैसे हलवा आदि के रूप में या सब्जी के रूप में हो या जूस, विशेषकर सर्दी में, गाजर सभी की पसंदीदा है। बाजार में कई प्रकार की गाजर मिलती हैं जैसे काली गाजर, नारंगी गाजर, लाल गाजर। यह दिखने में जितनी लुभावने लगती हैं उतनी ही कन्फ्यूज भी करते हैं कि इनमें से कौन सा अधिक गुणकारी और पौष्टिक है।
पतंजलि का अनुसंधान इसका भी समाधान लेकर आया है, इस अध्ययन के अनुसार सभी गाजर उत्तम हैं पर काली गाजर सर्वोत्तम है क्योकि इसमें एंथोसियानिन की मात्र अधिक होती है। यह अध्ययन अमरीका के प्रतिष्ठित सैल प्रैस प्रकाशन के रिसर्च जर्नल हेलियन में प्रकाशित हुआ है। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह शोध हमारे प्राचीन ग्रंथों में निहित गहन ज्ञान का प्रमाण है, जहां प्रत्येक पौधे के गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह निष्कर्ष न केवल काली गाजर के स्वास्थ्य लाभों को रेखांकित करते हैं, बल्किपारंपरिक भारतीय चिकित्सा में वर्णित पौधों के चिकित्सीय गुणों पर और अधिक शोध की आवश्यकता पर भी जोर देते हैं।