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बदलता मौसम बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बन रहा हानिकारक

नयी दिल्ली: दिल्ली तथा उसके पड़ोसी शहरों में कई अस्पतालों में बाल चिकित्सा ओपीडी में वायरल बुखार तथा लंबे समय तक खांसी की शिकायत लेकर आ रहे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। कुछ डॉक्टरों ने कहा कि पिछले दो सप्ताह से अस्थिर मौसम प्रवृत्तियों के कारण वायरस को फैलने के लिए ‘‘अनुकूल वातावरण’’ मिला होगा। कई अभिभावकों ने बताया कि शिशु बदलते मौसम के अनुसार ढल नहीं पा रहे हैं। दिल्ली में पिछले 17 दिनों से बादल छाए हुए है और रुक-रुक कर बारिश हो रही है जो मई महीने में दुर्लभ है। दिल्ली में मई आमतौर पर सबसे गर्म महीना रहता है जिसमें अधिकतम तापमान 39.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।

अधिकारियों ने बदले मौसम के पीछे एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ को जिम्मेदार ठहराया है जिससे उत्तरपश्चिमी भारत में बेमौसम बारिश हो रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में भी पिछले कई दिन से ऐसा ही मौसम बना हुआ है। दिल्ली में कई अस्पतालों तथा क्लिनिक में बाल चिकित्सकों ने कहा कि उनकी ओपीडी (बा‘ रोगी विभाग) में ज्यादातर बच्चे आ रहे हैं जिनमें से अधिकतर वायरल बुखार और लंबे समय तक खांसी की शिकायत लेकर आ रहे हैं और कुछ की छाती में जकड़न की शिकायत है।दक्षिण दिल्ली में रेनबो हॉस्पिटल के एक बाल चिकित्सक ने कहा कि ओपीडी में कई बच्चे इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षणों की शिकायत लेकर आ रहे हैं और कई मामलों में बीमारी लंबे समय तक बनी हुई है।

जुड़वां बच्चों की कामकाजी मां कनिका ने कहा, ‘‘मार्च से मेरी बेटी ठीक नहीं है और उसमें नियमित अंतराल पर वायरल संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं। मेरा बेटा भी पिछले कुछ हफ्तों से ठीक नहीं है। मौसम बदलने के साथ ही हमें समझ नहीं आता है कि गर्मी है, सर्दी या बसंत ऋतु का मौसम है। कई बार हम पंखे चलाते हैं और फिर बारिश आती है तथा अचानक ठंड लगने लगती है। बच्चे इससे तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं।’’ गाजियाबाद के बाल चिकित्सक डॉ. प्रभात सक्सेना ने बताया कि जब भी मौसम बदलता है तो तापमान में उतार-चढ़ाव आता है तथा इसे संक्रमणों को फैलने के लिए ‘‘अनूकूल वातावरण’’ मिलता है। नोएडा में नियो हॉस्पिटल के बाल चिकित्सक डॉ. सागरदीप बावा ने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि बच्चों को श्वसन संक्रमण हो रहा है। मई में इस वक्त हमें श्वसन संक्रमण के बहुत कम मामले देखने को मिलते थे लेकिन इस साल संख्या कहीं अधिक है।’’

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