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वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता,युवा आबादी में घातक रूप लेता जा रहा है colon cancer

नई दिल्ली : कैंसर वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारकों में से एक है। हर साल तमाम प्रकार के कैंसर के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। हालिया रिपोर्ट्स बताते हैं कि कम उम्र के लोगों में भी कैंसर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विशेषतौर पर 30-40 की आयु वालों में कोलन कैंसर के मामले अब अधिक देखे जा रहे हैं।

हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि कोलन कैंसर पहले से कहीं अधिक, युवाओं (पुरुषों और महिलाओं) की जान ले रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हर किसी में इसका खतरा हो सकता है, कुछ आदतें इसके जोखिम को बढ़ाती हुई देखी गई हैं। कोलोरैक्टल (कोलन) कैंसर 50 से कम उम्र के पुरुषों में सबसे घातक कैंसर है,

इसी आयु वर्ग की महिलाओं में स्तन कैंसर के बाद यह दूसरा सबसे घातक कैंसर है। कोलन कैंसर की घटनाएं पिछले 2 दशकों से बढ़ रही हैं। डॉक्टर कहते हैं, सभी लोगों को इसके लक्षणों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। कोलोरेक्टल या कोलन कैंसर, असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि है जो बड़ी आंत के एक हिस्से जिसे कोलन कहा जाता है उसमें शुरू होता है।

इसमें आमतौर पर लक्षण नजर नहीं आते हैं। नियमित स्क्रीनिंग परीक्षणों की मदद से इसकी पहचान की जा सकती है। शोधकर्त्ताओं ने पाया कि लाइफस्टाइल और आहार से संबंधित गड़बड़ियों के कारण इस प्रकार के कैंसर के विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है।

यह कहती है विशेषज्ञों की टीम:

अमेरिकन कैंसर सोसायटी ने एक रिपोर्ट में बताया कि पहली बार ऐसा है जब कोलन और रेक्टल कैंसर युवाओं में होने वाली मौत का प्रमुख कारण बन गए हैं। कैंसर जर्नल फॉर क्लीनिशियन्स में प्रकाशित शोध में विशेषज्ञों ने बताया कम उम्र के लोग भी इसके तेजी से शिकार हो रहे हैं।

बोस्टन में कोलोरेक्टल कैंसर सैंटर के निदेशक डॉ. किम्मी एनजी कहती हैं, कुछ दशकों से हम देख रहे हैं कि हमारे क्लीनिक में आने वाले मरीजों की आयु काफी कम है। मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. विलियम दाहुत कहते हैं ज्यादातर लोगों में कैंसर का निदान बाद के चरणों में हो पाता है,

जब यह काफी आक्रामक हो जाता है। कैसे होते हैं इसके लक्षण कोलन कैंसर से पीड़ित लोगों में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखता है, हालांकि कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने के साथ आपको कुछ समस्याएं हो सकती हैं जिन्हें अलार्मिंग माना जाता है। बार-बार दस्त या कब्ज होना।

मलाशय से रक्तरसाव या मल में खून आना। पेट में लगातार असुविधा बने रहना जैसे ऐंठन, गैस या दर्द। ऐसा महसूस होना कि मल त्याग के दौरान पेट पूरी तरह से खाली नहीं हो रहा है। कमजोरी या थकान होना और बिना प्रयास किए वजन कम होना।

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