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लिथियम से युक्त पानी का सेवन नहीं होने देता तंत्रिका का विकास

वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर गर्भवती महिलाएं लिथियम युक्त पानी का सेवन करती हैं तो उनके बच्चे को आॅटिज्म होने की आशंका बढ़ जाती है क्योंकि लिथियम तंत्रिका विकास के लिए आवश्यक अणुओं की आवाजाही को प्रभावित कर सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लिथियम बैटरी का बढ़़ता उपयोग और कचरे के ढेरों के निपटान के लिए लिथियम के उपयोग की वजह से भूजल में इस रसायन का स्तर बढ़ सकता है। इस प्रकार मानवीय गतिविधियां पेयजल को लिथियम से संदूषित कर गर्भस्थ शिशु के तंत्रिका विकास को बाधित कर सकती हैं।

अमरीका के ‘यूनिर्विसटी आॅफ कैलिफोर्निया लॉस एंजल्स (यूसीएलए) हैल्थ’ के वैज्ञानिकों ने हालांकि यह भी कहा है कि उनका यह अध्ययन डेनमार्क से मिले आंकड़ों पर आधारित है लेकिन ऐसे अध्ययन दुनिया के अलग अलग हिस्सों में रहने वाले लोगों पर किए जाने चाहिए। अध्ययन के नतीजे ‘जर्नल आॅफ अमेरिकन मैडिकल एसोसिएशन’’ (जेएएमए) पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन के मुख्य लेखक बीट रिट्ज ने कहा कि ‘विकसित हो रहे मानव मस्तिष्क को प्रभावित कर सकने वाले किसी भी संदूषित पेयजल की गहनता से जांच की जानी चाहिए।’ रिट्ज यूसीएलए हैल्थ में तंत्रिका विभा में प्राध्यापक हैं। लिथियम के प्रभाव की वजह से मूड को स्थिर रखने में मदद मिलती है। यही वजह है कि अवसाद तथा बाइपोलर डिस्आॅर्डर जैसी समस्याओं के इलाज में इस रसायन का उपयोग किया जाता है।

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