Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

पानी की एक बूंद भी बर्बाद न होने दें क्योकि बिन पानी सब सूना

पानी सबकी जरूरत है। इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मानव, पशु,पेड़-पौधे, खेतखलिहान सभी पानी पर निर्भर हैं, अर्थात् जल ही जीवन है लेकिन जिस रफ्तार से भूमिगत जल का स्तर गिरता जा रहा है, उससे सारा विश्व चिंता में पड़ गया है। आज हर छोटे-बड़े नगरों में पानी की समस्या एक आम समस्या बन गयी है। एक अनुसंधान द्वारा पता चला है, कि विश्व में पहले कहीं पानी खत्म होगा तो वो होगा भारत जबकि भारत विश्व के उन देशों में से है जहां अच्छी बारिश होती है। फिर भी यहां पानी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है।

गर्मी के मौसम की शुरूआत होते ही सार्वजनिक नलकूपों, कुंओं आदि पर पानी की बाल्टी की कतारें कोई आश्चर्य की बात नहीं है लेकिन जैसे ही गर्मी के मौसम का अन्त होता है, हम पानी की चिंता भुला देते हैं और फिर उसी तरह मनमाने ढंग से पानी गिराते रहते हैं। पानी बर्बाद करने का क्र म यूं ही चलता रहता है जब तक कि पुन: गर्मी का मौसम दस्तक नहीं देता। बरसात के मौसम में यदि इन्द्र देवता हमसे नाराज रहते हैं तो सकल जीवन त्रहि-त्रहि करने लगता हैं अंधाधुंध कटते पेड़, धड़ाधड़ होती बोरिंग, ये सब भूमिगत जल के समाप्त होने के प्रमुख कारण है लेकिन जिस तरह से घरों के स्रानगृह से लेकर, रसोईघर में पानी की बर्बादी होती है, उसका आकलन करना असंभव है।

उन घरों में जहां पानी की सप्लाई समय से होती है, वहां तो हालात और भी बुरे है। नित्य ताजा पानी भरने के लिए, बासी पानी को बहा दिया जाता है अर्थात् हर घर में करीब 3०-35 लीटर स्वच्छ और पीने योग्य पानी नालियों की शोभा पाता है। हर सुबह पानी के पाइपों द्वारा अपने बरामदे के फर्श धोते, गॉर्डन में पानी पटाते, या विदेशी कुत्ते को नहलाते लोगों का नाराज आसानी से देखने को मिलता है जबकि यही कार्य बाल्टी से भी किया जा सकता है जिससे पानी की काफी बचत होती है। कपड़े धोने के क्र म में साबुन रहित पानी को गॉर्डन में भी बरामदा धोने के काम में लाया जा सकता है। सब्जियों व दालों के धोवन को गमलों में डाला जा सकता है जिससे पानी के बचत के साथ-साथ आपके पौधे को पौष्टिक तत्व भी प्राप्त होंगे। नहाने के लिए टब की जगह शावर का प्रयोग करने से पानी की बचत होती है। इ

स तरह की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान रख कर प्रति वर्ष काफी पानी की बचत की जा सकती है। यथासंभव बारिश के पानी को इकट्ठा करने का प्रयास करना चाहिए। बारिश के पानी को छत पर इकट्ठा करके उसे किसी पाइप द्वारा गहरे गड्डों में लाया जाय तो इससे भूमिगत जल का लेवल बना रहेगा तथा इससे इतना पानी बचाया जा सकेगा जितना किसी आंदोलन द्वारा भी बचाया नहीं जा सकेगा। अत: पानी की एक बूंद भी बर्बाद न हो, इसके लिए हमें हमेशा ही प्रयत्नशील रहना चाहिए वरना एक दिन हम एक-दूसरे से पानी के लिए लड़ते-झगड़ते नजर आयेंगे। यदि पानी है तभी हम हैं, आप हैं और यह जीवन है नहीं तो ‘बिन पानी सब सून‘।

Exit mobile version