किशोरों में नशे की समस्या अगले दशक में विकराल रूप ले सकती है: अध्ययन

नई दिल्ली: मादक पदार्थ दुरुपयोग की समस्या अगले दशक में विकराल रूप ले सकती है और विशेष रूप से 10 से 17 साल की आयु के बच्चों को प्रभावित कर सकती है। एक अध्ययन के बुधवार को जारी प्राथमिक निष्कर्षों में यह बात सामने आई। स्वतंत्र थिंकटैंक ‘ंिथंक चेंज फोरम’ के अध्ययन में सामने आया.

नई दिल्ली: मादक पदार्थ दुरुपयोग की समस्या अगले दशक में विकराल रूप ले सकती है और विशेष रूप से 10 से 17 साल की आयु के बच्चों को प्रभावित कर सकती है। एक अध्ययन के बुधवार को जारी प्राथमिक निष्कर्षों में यह बात सामने आई। स्वतंत्र थिंकटैंक ‘ंिथंक चेंज फोरम’ के अध्ययन में सामने आया कि मानसिक सेहत से जुड़े मुद्दे, कामकाज का दबाव, बढ़़ता खालीपन और बदलती सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का इस आयु वर्ग पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है और ये नशे की लत की ओर बढ़ने लगते हैं। अध्ययन के अनुसार मादक पदार्थों के बढ़ते दुरुपयोग का प्रभाव भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में होगा। भारत में कोरोना वायरस महामारी के बाद ऐसे पदार्थों की विशेष रूप से युवाओं और किशोरों में खपत चिंताजनक तरीके से बढ़Þी है और इसके मद्देनजर ‘थंक चेंज फोरम’ ने इस तरह की लत की समस्या का विश्लेषण कर इसके समाधानों की सिफारिश करने के लिए विशेषज्ञों के परामर्श पर आधारित राष्ट्रीय अध्ययन शुरू किया है।

3 महत्वपूर्ण प्रवृत्तियां: प्रारंभिक नतीजों में 3 महत्वपूर्ण प्रवृत्तियों की ओर इशारा किया गया है जिनसे किशोरों और युवाओं के बीच नशीले पदार्थों का उपयोग बढ़ रहा है और इन्हें तत्काल कम करने के लिए 3 महत्वपूर्ण हस्तक्षेप जरूरी बताए गए हैं। अध्ययन के अनुसार नशीले पदार्थों को लेकर चमकदमक का माहौल भारत में इनका उपयोग बढ़ने की पहली अहम प्रवृत्ति है। टेडेक्स वक्ता और अभिभावकों को परामर्श देने वाले सुशांत कालरा ने कहा, ‘आज फिल्मी नायक, नायिकाएं नशे को चमक-दमक के साथ दिखाते हैं। बच्चे और किशोर अपने पसंदीदा अदाकारों को फिल्मों और वीडियो सीरीज समेत विभिन्न मीडिया पर इस तरह की गतिविधियों में लिप्त देखते हैं। इस तरह का संदेश दिया जाता है कि ये गतिविधियां न केवल स्वीकार्य हैं बल्कि अत्यंत अपेक्षित हैं।’ अध्ययन के अनुसार दूसरी प्रवृत्ति ई-सिगरेट और ऐसे उत्पादों के उपयोग की है। तीसरी प्रवृत्ति कामकाज के बढ़ते दबाव और बढ़ते खालीपन के कारण मानसिक सेहत संबंधी मुद्दों से जुड़ी है।

ई-सिगरेट तंबाकू से बेहतर विकल्प नहीं :विशेषज्ञों ने इनकी रोकथाम के लिए 3 हस्तक्षेपों में संबंधित मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करने को गिनाया है। बच्चों को यह बताने की भी आवश्यकता भी रेखांकित की गई है कि ई-सिगरेट तंबाकू से बेहतर विकल्प नहीं है और इस तरह के उपकरण से फेफड़ों को नुक्सान हो सकता है। तीसरा महत्वपूर्ण हस्तक्षेप अभिभावकों और प्रशिक्षकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस तरह के नशों के खिलाफ शिक्षा के प्रसार का है।

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