बैड कोलैस्ट्रॉल जब शरीर में जमा होता है तो इसके लक्षण असानी से सामने नहीं आते, लेकिन जब आते हैं तब ये खतरे के निशान पर होता है। इसलिए इन संकेतों को पहचान कर तुरंत इलाज शुरू कर देना चाहिए। डाइट, एक्सरसाइज और दवाएं इसे कंट्रोल करने में मददगार होती हैं। बिगड़ी लाइफस्टाइल और फिजिकल एक्टिविटी न करने के कारण ही शरीर के साथ नसों में भी वसा का जमाव शुरू हो जाता है। यही आगे चलकर हाई कोलैस्ट्रॉल का कारण बनता है और इससे अन्य बीमारियां जैसे ब्लड प्रैशर, डायबिटीज, हार्ट अटैक , कोरोनरी आर्टरी डिजीज , ट्रिपल वेसेल डिजीज बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
खून में कितना होना चाहिए कोलैस्ट्रॉल?
तय मानको के मुताबिक हैल्दी एडल्ट्स में 200 मिलीग्राम/डीएल तक कोलेस्ट्रॉल होना चाहिए, अगर यही लैवल 240 मिलीग्राम/डीएल के पार पहुंच जाए तो समझ जाएं कि खतरा बढ़ चुका है और आपको अपनी जीवनशैली और खान पान में बदलाव लाने की जरूरत है।
कहीं आपको पैरिफेरल आर्टरी डिजीज तो नहीं?
खून में अगर कोलैस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाए तो पेरिफेरल आर्टरी डिजीज का खतरा बढ़ता है। इससे धमनियों को नुक्सान पहुंचता है और धमनियां सिकुड़ने लगती हैं और ब्लड सही से शरीर हर अंग तक नहीं पहुंच पाता।
शरीर के इन हिस्सों में होता है तेज दर्द
पैरिफेरल आर्टरी डिजीज होने शरीर में खून का प्रवाह बाधित होता है। अगर आपके जांघों, कूल्हों और पैरो में तेज दर्द बना रहता है तो ये संकेत हाई कोलैस्ट्रॉल के हो सकते है। ऐसा होने पर आपको तुरंत अपने कोलैस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए।