घरेलू प्रदूषण से छुटकारा पाना है जरूरी, जानें कैसे

घर हो या बाहर प्रदूषण आज हर जगह है। बाहर के प्रदूषण पर तो हमारा उतना बस नहीं है, लेकिन घर के प्रदूषण को हम अपनी थोड़ी सी कोशिश और सजगता से जरूर कम कर सकते हैं। ठंड में तो हमें और भी सचेत हो जाना चाहिए। इस की वजह यह है कि ठंड के.

घर हो या बाहर प्रदूषण आज हर जगह है। बाहर के प्रदूषण पर तो हमारा उतना बस नहीं है, लेकिन घर के प्रदूषण को हम अपनी थोड़ी सी कोशिश और सजगता से जरूर कम कर सकते हैं। ठंड में तो हमें और भी सचेत हो जाना चाहिए। इस की वजह यह है कि ठंड के मौसम में धूलधुआं ऊपर नहीं उठ पाता और सारा प्रदूषण हमारे इर्दगिर्द जमा होता रहता है। ठंड के मौसम में कुहरा होने के कारण कार्बन डाईआॅक्साइड, मिथेन और नाइट्रस आॅक्साइड जैसी खतरनाक गैसों का प्रकोप और अधिक बढ़ जाता है।

वैसे कुहरा नुकसानदेह नहीं होता है, लेकिन जब इस में धूल, धुआं मिलता है तो यह खतरनाक हो जाता है। इसलिए ठंड के मौसम में प्रदूषण और बढ़ जाता है। तभी तो इस मौसम में आंखों में जलन, नाक में खुजली, गले में खराश, खांसी जैसी परेशानियां होती हैं। इन के अलावा फेफड़ों में संक्र मण की भी शिकायत हो जाती है। कारण, इस मौसम में वातावरण में तरहतरह के वायरस सिक्र य हो जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर साल 43 लाख लोग घर के प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं। अत: घर के प्रदूषण से बचना भी चुनौती ही है। फिर भी थोड़ी सी जागरूकता बरत कर घर को प्रदूषण से बचाया जा सकता है। आइए, जानते हैं कैसे।

-धूम्रपान सेहत के लिए खतरनाक है, फिर भी लोग धूम्रपान करते हैं। जो इस के आदी हैं, उन के लिए तो यह जानलेवा है ही, उन के लिए भी खतरनाक है, जो धूम्रपान नहीं करते। एक्टिव स्मोकिंग से ज्यादा खतरनाक पैसिव स्मोकिंग होती है। इसीलिए सब से पहले तो परिवार के जो सदस्य धूम्रपान के आदी हैं वे घर में इस का धुआं न फैलाएं। धूम्रपान का सब से बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। इस के अलावा अगर घर का कोई सदस्य दिल की बीमारी या फेफड़ों के संक्रमण से ग्रस्त है, तो उस के लिए पैसिव स्मोकिंग जानलेवा हो सकती है।

-कीटनाशक के प्रयोग में सावधानी बरतें। घर की मक्खियों, मच्छरों, तिलचट्टों आदि से छुटकारा पाने के लिए बाजार में तरहतरह के रिपेलैंट अगरबत्ती या लिक्विड दोनों ही रूपों में उपलब्ध हैं। ये तमाम तरह के रिपेलैंट कीड़ेमकोड़ों को भगाने के साथसाथ घर में प्रदूषण फैलाने का भी काम करते हैं। दोनों ही तरह के रिपेलैंट से हानिकारक रसायन और जहरीले धुएं से सेहत को नुकसान पहुंचता है। बच्चों और बुजुर्गों को सांस की परेशानी, खांसी और एलर्जी की शिकायत हो जाती है।

-घर में कीड़े-मकोड़े होने से भी घर का प्रदूषण बढ़ता है। घर में चींटियां, मकड़ियां गंदगी फैलाती हैं। इन के अलावा चूहों, तिलचट्टों और छिपकलियों की बीट से भी प्रदूषण फैलता है। अत: घर की नियमति साफसफाई बेहद जरूरी है। परदों और गलीचों में खूब धूल जम जाती है, इसलिए इन की भी समयसमय पर सफाई करते रहें। रसोई और बाथरूम की नालियों की सफाई का भी खासतौर पर ध्यान रखें। कई बार नाली या पानी का पाइप फट जाता है। पर चूंकि नालियां और पानी के पाइप लाइन दीवार में काऊंसलिंग सिस्टम से लगाए जाते हैं, इसलिए इन में आई खराबी का तब तक पता नहीं चलता जब तक दीवार में सीलन नजर नहीं आती। इस से रसोई और बाथरूम में तिलचट्टों और सीलन की समस्या बढ़ती है। अत: नाली या पानी के पाइप में कहीं कोई गड़बड़ी आती है, तो उस की तुरंत मरम्मत करवाएं।

-घर के प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए एरोगार्ड या एअरप्यूरिफायर का इस्तेमाल करें।

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