Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

Health Tips : दिल को रखना है स्वस्थ, ताे राेज सुबह जरूर पिएं इसका एक कप

Health Tips

Health Tips

Health Tips : एक शोध में यह बात सामने आई है कि कॉफी के कई स्वास्थ्य लाभ है। मगर इसे पीने का बिल्कुल सही समय सुबह का है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित शोध से पता चला है कि सुबह कॉफी पीने वालों में हृदय रोग से मरने का जोखिम कम होता है। दिन भर कॉफी पीने वाले लोगों की तुलना में उनमें मृत्यु दर का जोखिम भी कम होता है। अमेरिका में टुलेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दिखाया कि सुबह कॉफी पीने वालों में किसी भी कारण से मरने की संभावना 16 प्रतिशत कम होती है और हृदय रोग से मरने की संभावना 31 प्रतिशत कम होती है।

Health Tips

हालांकि, कॉफी न पीने वालों की तुलना में पूरे दिन कॉफी पीने वाले लोगों में जोखिम में कोई कमी नहीं पाई गई। टुलेन में प्रोफेसर डॉ. लू क्यूई ने कहा, कि ‘यह कॉफी पीने के समय के पैटर्न और स्वास्थ्य परिणामों का परीक्षण करने वाला अपने आप में पहला शोध है। हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि यह केवल महत्वपूर्ण नहीं है कि आप कॉफी पीते हैं या नहीं या आप कितनी कॉफी पीते हैं, बल्कि यह भी बेहद ही महत्वपूर्ण है कि आप दिन के कौन से समय में कॉफी पीते हैं।‘

Health Tips

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1999 से 2018 के बीच 40,725 वयस्कों के डेटा का विषेण किया। अध्ययन के हिस्से के रूप में प्रतिभागियों से उनके एक दिन के खान पान को लेकर सवाल किया गया। उनसे पूछा गया कि आपने दिन में कितनी कॉफी पी और किस समय पी? इस शोध में 1,463 लोगों का एक उप-समूह भी शामिल था, जिन्हें पूरे सप्ताह के लिए एक विस्तृत खाद्य और पेय डायरी भरने के लिए कहा गया था।

Health Tips

टीम ने नौ से 10 वर्षों के लिए मौतों और मृत्यु के कारणों के रिकॉर्ड के साथ जानकारी को जोड़ा। अध्ययन में तीन में से एक से अधिक लोग सुबह कॉफी पीने वाले थे (वे मुख्य रूप से दोपहर से पहले कॉफी पीते थे), और चार में से एक से भी कम लोग पूरे दिन (सुबह, दोपहर और शाम) कॉफी पीते थे। इनकी तुलना 48 प्रतिशत कॉफी न पीने वालों से की गई। हालांकि, अध्ययन में यह नहीं बताया गया है कि सुबह कॉफी पीने से हृदय रोग से मृत्यु का जोखिम कैसे कम होता है।

Health Tips

क्यूई ने कहा, कि ‘एक संभावित व्याख्या यह है कि दोपहर या शाम को कॉफी पीने से सर्कैडियन लय और मेलाटोनिन जैसे हार्मोन स्तर में व्यवधान आ सकता है। इसके परिणामस्वरूप, सूजन और रक्तचाप जैसे हृदय संबंधी जोखिम कारकों में परिवर्तन आता है।’

Exit mobile version