स्वस्थ जीवनशैली व जागरुकता ब्रेन स्ट्रोक से निपटने में अहम: विशेषज्ञ

नई दिल्ली: विश्व मस्तिष्क दिवस पर विशेषज्ञों ने देश में ब्रेन स्ट्रोक और अन्य संबंधित बीमारियों के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए उचित आहार और व्यायाम के साथ-साथ एक स्वस्थ जीवन शैली पर जोर दिया है। विश्व मस्तिष्क दिवस हर साल जागरुकता बढ़ाने और मस्तिष्क स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिए.

नई दिल्ली: विश्व मस्तिष्क दिवस पर विशेषज्ञों ने देश में ब्रेन स्ट्रोक और अन्य संबंधित बीमारियों के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए उचित आहार और व्यायाम के साथ-साथ एक स्वस्थ जीवन शैली पर जोर दिया है। विश्व मस्तिष्क दिवस हर साल जागरुकता बढ़ाने और मस्तिष्क स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय ब्रेन हैल्थ एंड प्रिवैंशन है। न्यूरोलॉजिकल विकारों में स्ट्रोक, सिरदर्द विकार, मिर्गी, सेरेब्रल पाल्सी, अल्जाइमर और अन्य मनोभ्रंश, मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कैंसर, पार्कसिंस रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, मोटर न्यूरॉन रोग और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकार शामिल हैं।
नारायणा हैल्थ के एचओडी और निदेशक एवं क्लिनिकल लीड इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी डा. विक्रम हुडेड ने बताया, ‘भारत के युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते मामले देखने को मिल रहे हैं। इन मामलों में पिछले 5 वर्षों में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। सबसे ज्यादा मामले 25-40 वर्ष की आयु के लोगों में देखने को मिल रहे हैं। यह मुख्य रूप से गतिहीन जीवन शैली, खराब आहार संबंधी आदतें, धूम्रपान और शहरी जीवन से जुड़े उच्च तनाव के कारण होता है।

डाक्टर ने उच्च रक्तचाप और शुगर की ओर भी इशारा किया है। इसके अलावा जेनेटिक बीमारियां, स्लीपिंग डिसऑर्डर, हृदय संबंधी अज्ञात बीमारियां, उच्च तनाव स्तर और प्रदूषण जैसे कारक भी इस खतरनाक बीमारी को जन्म देते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुमान के अनुसार, भारत में कुल बीमारियों में न्यूरोलॉजिकल विकारों का योगदान 10 प्रतिशत है। बढ़ती उम्र की वजह से देश में बीमारों की संख्या बढ़ रही है। नई दिल्ली स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सैंटर के निदेशक और न्यूरोलॉजी प्रमुख डा. ए.के. साहनी ने बताया, ’बढ़ती उम्र के साथ, विशेषकर 50 वर्ष के बाद मस्तिष्क में डोपामाइन के कम स्नव के कारण मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों में न्यूरोडीजेनेरेटिव परिवर्तन होने लगते हैं।’

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