नई दिल्ली: एक शोध में यह बात सामने आई है कि अपने बच्चों को परफैक्ट बनाने के सामाजिक दबाव में माता-पिता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वहीं बच्चों में भी तनाव, चिंता और अवसाद से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं ने कहा कि अपने बच्चों को परफैक्ट बनाने के दबाव में अक्सर माता-पिता और उनके बच्चों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस शोध में अमरीका के 700 से अधिक पेरैंट्स ने भाग लिया। सर्वेक्षण में 57 प्रतिशत माता-पिता ने यह माना कि वह इस चीज से प्रभावित हैं।
अध्ययन में बताया कि माता-पिता की नाराजगी आंतरिक और बाहरी अपेक्षाओं से जुड़ी हुई है। इसमें यह बात भी शामिल है कि वह कैसा महसूस करते हैं। साथ ही उनकी चिंता में जीवनसाथी के साथ संबंध बनाने और घर को साफ-सुथरा रखने का निर्णय शामिल है। अध्ययन में सुझाव दिया गया कि माता-पिता बच्चों के साथ अपने संबंधों को बढ़ावा दें और सक्रिय रुप से उनकी बातें सुनें। साथ ही नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदलें और बच्चों को लेकर अपनी अपेक्षाओं पर विचार करें।
इंसान को कमजोर कर सकता है ‘परफैक्ट पेरैंटिंग’ का भ्रम
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्त्ताओं में से एक और ओहायो स्टेट कॉलेज ऑफ नर्सिंग में एसोसिएट क्लीनिकल प्रो. केट गॉलिक ने कहा, ‘परफैक्ट पेरैंटिंग’ का भ्रम इंसान को कमजोर कर सकता है। 4 बच्चों की कामकाजी मां के रूप में अपने अनुभव के आधार पर यह शोध करने वाली गॉलिक ने कहा कि मुझे लगता है कि सोशल मीडिया ने वास्तव में इस पैमाने को ऊपर उठा दिया है। माता-पिता के रूप में हमें बच्चों से बहुत उम्मीदें हैं। हमारे बच्चों को क्या करना चाहिए, इसके बारे में हम बहुत कुछ सोचते हैं। फिर, दूसरी तरफ आप अपनी तुलना अन्य लोगों और अन्य परिवारों से कर रहे हैं।
विशेष रूप से माता-पिता का मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार उनके बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। यदि बच्चों में कोई मानसिक स्वास्थ्य विकार है तो माता-पिता काफी परेशानी महसूस करते हैं, इसमें उनके बच्चों को अपमानित करने, आलोचना करने, शारीरिक रूप से नुक्सान पहुंचाने की संभावना अधिक होती है।’दूसरी ओर, माता-पिता के साथ बिताया गया गुणवत्तापूर्ण समय बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों जैसे चिंता और अवसाद को काफी हद तक कम कर सकता है।