नई दिल्ली: कोविड महामारी के कारण उत्पन्न बाधाओं के चलते मधुमेह से पीड़ित रोगियों की मौतों के मामलों में वृद्धि हुई है। ‘द लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रायनोलॉजी जर्नल’ में प्रकाशित एक नए शोध में यह जानकारी सामने आई है। इस शोध में महामारी से पहले और महामारी के दौरान के आंकड़ों की तुलना की गई और पाया गया कि मधुमेह से पीड़ित लोगों में दृष्टिहीनता की समस्या भी बढ़ गई है। शोध के अनुसार इसका महिलाओं, युवाओं और जातीय अल्पसंख्यक समूहों पर सबसे अधिक असर पड़ा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित शोधकर्ताओं की टीम ने उत्तरी अमरीका में 39, पश्चिमी यूरोप में 39, एशिया में 17 और पूर्वी यूरोप, दक्षिण अमरीका, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और अन्य कई क्षेत्रों में 138 उन अध्ययनों पर गौर किया जो मधुमेह से पीड़ित मरीजों में महामारी के प्रभाव जानने के लिए किए गए थे। अमरीका के मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ एंड हैल्थ साइंसेज’ में स्वास्थ्य नीति और संवर्धन के सहायक प्रोफैसर जेमी हार्टमैन-बॉयस ने कहा, ‘हम इस सवाल का जवाब तलाश रहे थे कि क्या आपको मधुमेह होने पर कोविड से मौत होने और गंभीर बीमारी होने का खतरा अधिक है? आकंड़ों से स्पष्ट था कि हां, आप खतरे में हैं।’
मौत के मामलों में वृद्धि के साथ-साथ, शोधकर्ताओं ने पाया कि बाल चिकित्सा आईसीयू में मधुमेह से संबंधित मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है और साथ ही बच्चों और किशोरों में मधुमेह केटोएसिडोसिस (डीकेए) के मामलों में भी वृद्धि हुई है। डीकेए मधुमेह संबंधी एक गंभीर जानलेवा समस्या है। इसके लक्षणों में उल्टी, पेट में दर्द, गहरी सांसें लेना और बार-बार पेशाब जाना शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि टाइप 1 मधुमेह के उम्मीद से कहीं अधिक नए मामले सामने आए और इस मधुमेह से पीड़ित बच्चे गैर-महामारी अवधि की तुलना में महामारी के दौरान अधिक बीमार हुए थे।