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हमारे शरीर को इस तरह बेहद नुकसान पहुंचाते है Micro Plastic कण

सूक्ष्म प्लास्टिक (माइक्रोप्लास्टिक) या पांच मिलीमीटर से छोटे प्लास्टिक कणों को लेकर वैज्ञानिकों की यह चिंता बढ़ती जा रही है कि क्या ये मानव स्वास्थ्य को नुक्सान पहुंचा सकते हैं? अध्ययन दर्शाते हैं कि ये कण हमारे पर्यावरण में घरों तथा दफ्तरों में रोजमर्रा की चीजों में समुद्र में नदियों में, मिट्टी में और बारिश आदि सभी में व्यापक रूप से मौजूद हैं। लोग समय के साथ-साथ इस तरह के जितने रसायन शरीर से निकालते हैं, उससे ज्यादा कण उनके शरीर में पहुंच जाते हैं। हाल में एक विश्लेषण में प्लास्टिक में इस्तेमाल ऐसे 10,000 से अधिक विशिष्ट रसायनों की पहचान की गई जिनमें से अधिकतर वैश्विक रूप से सही से विनियमित नहीं हैं। अनुसंधान बताते हैं कि हम हर दिन कहीं भी एक लाख से अधिक तक सूक्ष्म प्लास्टिक कणों को शरीर में सोख लेते हैं। अब मछलियों में सर्जरी कराने वाले रोगियों के शरीर में, अज्ञात रक्तदाताओं के खून में और स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध में भी सूक्षम प्लास्टिक पाया जा रहा है। सूक्ष्म प्लास्टिक और उससे सेहत पर असर के बीच तार जुड़े होने की पुष्टि करने वाला कोई अध्ययन अभी तक सामने नहीं आया है, हालांकि अनुसंधानकर्त्ताओं ने इशारा किया है कि प्लास्टिक में पाए जाने वाले रसायन कैंसर, हृदय रोगों, मोटापा और भ्रुण का सही विकास नहीं होने जैसी अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हमारे शरीर में अधिक मात्रा में सूक्ष्म प्लास्टिक होने से कोशिकाओं को नुक्सान हो सकता है। सभी हितधारक इस बात को मानते हैं कि सूक्ष्म प्लास्टिक की रोकथाम के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

शरीर में हर सप्ताह पहुंचता है इतना प्लास्टिक कण
अनुसंधानकर्त्ताओं ने प्रदूषण के बारे में अपनी चेतावनी में कहा कि सूक्ष्म प्लास्टिक की खपत से ऐसे स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं जिन्हें कम नहीं किया जा सकता। उनका मानना है कि मनुष्य के शरीर में हर सप्ताह पांच ग्राम प्लास्टिक कण पहुंच जाते हैं। यह एक क्रैडिट कार्ड के वजन के बराबर है। मवेशियों के आहार में प्लास्टिक होने से उस मांस और दुग्ध उत्पाद में सूक्ष्म प्लास्टिक पहुंच सकते हैं जिनका इस्तेमाल हम दैनिक जीवन में करते हैं।

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