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domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता के लगातार खराब बने रहने के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि नॉन स्मोकर्स यानि धूम्रपान न करने वालों को फेफड़े का कैंसर वायु प्रदूषण की वजह से हो रहा है। इस बीच 8 दिनों तक भयंकर वायु प्रदूषण के बाद गुरुवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ। सुबह 7 बजे, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 379 पर था, जिसने शहर को ‘बहुत खराब‘ श्रेणी में रखा। यूनिक हॉस्पिटल कैंसर सैंटर के मैडीकल ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डा. आशीष गुप्ता ने बताया, ‘वैसे तो फेफड़े के कैंसर का कारक सिगरेट, पाइप या सिगार पीना है, मगर धूम्रपान न करने वालों में भी कैंसर के बढ़ते मामले देखने को मिल रहे हैं, जिसके पीछे मुख्य रूप से पैसिव स्मोकिंग, रेडॉन, वायु प्रदूषण, एस्बेस्टस (अभ्रक) और पारिवारिक इतिहास शामिल है। लंबे समय तक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के संपर्क में रहने से फेफड़े की कोशिकाओं में परिवर्तन हो सकता है, जिससे अनियंत्रित रूप से कोशिका वृद्धि हो सकती है।’
लैंसेट के ई-क्लिनिकल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक हालिया शोध से पता चला है कि भारत में फेफड़े के कैंसर के अधिकांश रोगी धूम्रपान न करने वाले हैं। यह वायु प्रदूषण के बढ़ते संपर्क के कारण है। फोर्टिस मैमोरियल रिसर्च इंस्टीच्यूट में हेमटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के पिं्रसीपल डायरैक्टर डा. राहुल भार्गव ने बताया, ‘भारत में वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामलों का कारण बनता जा रहा है। पीएम 2.5 और जहरीली गैसों जैसे प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों के ऊतकों (टिशू) को नुक्सान पहुंचता है जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।’ बढ़ते वायु प्रदूषण ने राजधानी में अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी कई श्वसन संबंधी बीमारियों को भी बढ़ा दिया है।