कई लोग ऐसे भी होते हैं जो आपसी कहासुनी की बातें दिल पर ले लेते हैं। वे तब उसका जवाब देना चाहते थे, लेकिन दे नहीं पाए। फिर शाम को घर पर घंटों उन बातों के बारे में सोचते रहते हैं, जो आप कहना चाहते थे, पर कह नहीं पाए। या फिर आप कहां गलत थे। लाख कोशिश के बाद भी इन विचारों को न रोक पाने को चिंता का मकड़जाल यानी रूमीनेटिंग कहते हैं। आपकी चिंता का मकड़जाल जब रोजमर्रा की जिम्मेदारियों को प्रभावित करने लगे, तो समझ लें कि आप इसका शिकार हो चुके हैं। एक स्टडी के अनुसार अमरीका के डा. ट्रेसी मार्क्स मानते हैं कि यह कोई खराब मानसिक स्थिति नहीं, बल्कि उससे भी बड़ी समस्या है। अगर दिमाग का ब्रेक कंट्रोल से बाहर हो गया है तो यह रैड अलर्ट है। इसका पैटर्न आम विचारों को इससे अलग करता है। कुछ बातों का ध्यान रखकर इसे ठीक किया जा सकता है। चिंतन का एक और लक्षण है। आप उन समस्याओं के बारे में सोचते हैं जिन्हें सुलझाया नहीं जा सकता। मसलन कोई अतीत की बात। जिसे आप चाह कर भी नहीं बदल सकते।
आप खुद इससे बाहर निकल सकते हो
आप इस मकड़जाल में फंसते चले जाते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि कुछ चीजें अपना कर आप खुद इससे बाहर निकल सकते हैं। इसे तोड़ने के लिए सबसे पहले ध्यान कहीं और लगाने की कोशिश करें। गाने सुनने के दौरान उनके बोल या धुन पर गौर करें। इससे विचारों का प्रवाह कुछ वक्त के लिए टूटेगा।
ओवरथिंकिंग से बचें
चिंतन तब तक खराब नहीं होता जब तक वो स्ट्रैसफुल न हो। हालात खराब होने पर यह अन्य तरह की मानसिक बीमारियां पैदा कर सकती हैं। इसलिए अगर ओवरथिंकिंग काबू न हो तो थैरेपी जरूर लें। अतीत को भुलाकर जहां हैं उस पल के बारे में सोचें।