नई दिल्ली: सूक्ष्म कण प्रदूषण (PM 2.5) के संपर्क में आने से भारत में बच्चों में एनीमिया, गंभीर श्वसन संक्रमण और जन्म के समय कम वजन का खतरा बढ़ गया है। यह जानकारी नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में दी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि सूक्ष्म कणों के संपर्क में प्रत्येक 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (ug/m3) की वृद्धि से बच्चों में रक्त अल्पता (Anemia), गंभीर श्वसन संक्रमण और जन्म के समय कम वजन का खतरा क्रमश 10, 11 और 5% बढ़ जाता है।
‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीच्यूट’ (टेरी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और अन्य संस्थानों के दल ने यह भी सुझाव दिया कि वायु प्रदूषण के जोखिम को मापने के लिए ‘कुल पीएम 2.5 द्रव्यमान’ का उपयोग करने से भारत में बच्चों के स्वास्थ्य पर पीएम 2.5 के विभिन्न घटकों के वास्तविक संयुक्त प्रभाव का वास्तव में कम आंकलन हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पीएम 2.5 विभिन्न स्रोतों और विषाक्तता वाले विभिन्न घटकों से बना मिश्रण है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रदूषणकारी स्रोत विभिन्न पीएम 2.5 घटकों जैसे कार्बनिक कार्बन (OC), नाइट्रेट (NO3-), क्लोराइड के साथ-साथ धातु, मिट्टी और पानी के अणुओं का उत्पादन कर सकता है, और इसी तरह, पीएम 2.5 का प्रत्येक घटक विभिन्न स्रोतों से आ सकता है।
शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)- 4 के स्वास्थ्य आंकड़ों का विश्लेषण किया, जो भारत के सभी 640 जिलों में 20 जनवरी 2015 और 4 दिसंबर 2016 के बीच आयोजित एक घरेलू सर्वेक्षण था। उन्होंने पांच साल या उससे कम उम्र के बच्चों के स्वास्थ्य बोझ का प्रतिनिधित्व करने के लिए जन्म के समय कम वजन, एनीमिया और गंभीर श्वसन संक्रमण को चुना क्योंकि ये पैमाने आमतौर पर भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य रुग्णताएं हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सूक्ष्म कणों के संपर्क में प्रत्येक 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (यूजी/एम3) की वृद्धि से बच्चों में रक्त अल्पता (एनीमिया), गंभीर श्वसन संक्रमण और जन्म के समय कम वजन का खतरा क्रमश 10, 11 और 5% बढ़ जाता है।