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उपचार-प्रतिरोधी कैंसर से लड़ने के लिए एक नए एंटीबॉडी पर फोकस कर रहे वैज्ञानिक

नई दिल्ली: एक वैज्ञानिक दल एक नए प्रकार की एंटीबॉडी पर शोध कर रहा है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है और इलाज के बावजूद ठीक न होने वाले स्तन और अंडाशय के कैंसर के टय़ूमर की वृद्धि को धीमा कर देती है। आमतौर पर कैंसर.

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नई दिल्ली: एक वैज्ञानिक दल एक नए प्रकार की एंटीबॉडी पर शोध कर रहा है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है और इलाज के बावजूद ठीक न होने वाले स्तन और अंडाशय के कैंसर के टय़ूमर की वृद्धि को धीमा कर देती है। आमतौर पर कैंसर के इलाज में इम्यूनोथैरेपी के रूप में आईजीजी नामक एंटीबॉडी का उपयोग किया जाता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करती है और इसे कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी का एक विकल्प माना जा रहा है। हालांकि, कुछ मरीजों में यह इलाज प्रभावी नहीं होता, खासकर एचईआर2 से जुड़े स्तन और अंडाशय के कैंसर में, और कई बार शरीर इस इलाज के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है।

इस समस्या को दूर करने के लिए किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने आईजीई नामक एक अलग प्रकार की एंटीबॉडी पर शोध किया। यह एंटीबॉडी आईजीजी से अलग तरीके से प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करती है। आईजीई एंटीबॉडी शरीर की उन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को जाग्रत करती है, जो आमतौर पर सक्रिय नहीं होती और टय़ूमर के आसपास मौजूद होती हैं। इससे कैंसर कोशिकाओं को सीधे टारगेट किया जाता है।

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