अध्ययन में हुआ खुलासा, शहर में रहने वाले बच्चों में श्वास संबंधी संक्रमण का खतरा अधिक

नई दिल्लीः कस्बों और शहरों में रहने वाले बच्चों में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों की तुलना में श्वास संबंधी संक्रमण का खतरा अधिक होता है। एक अध्ययन में यह बताया गया है। ‘पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित एक अन्य शोध में बताया गया है कि ‘डे केयर’ (माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चों की.

नई दिल्लीः कस्बों और शहरों में रहने वाले बच्चों में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों की तुलना में श्वास संबंधी संक्रमण का खतरा अधिक होता है। एक अध्ययन में यह बताया गया है। ‘पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित एक अन्य शोध में बताया गया है कि ‘डे केयर’ (माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चों की देखरेख करने वाले संस्थान) में रहने, नम घरों में रहने या अधिक यातायात वाले क्षेत्रों के पास रहने जैसे कारकों की वजह से भी छोटे बच्चों में श्वसन संक्रमण का खतरा अधिक होता है, जबकि स्तनपान कराने से इसका जोखिम कम हो जाता है। दोनों अध्ययन इटली के मिलान में ‘यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस’ में सोमवार को प्रस्तुत किए गए।

डेनमार्क स्थित कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के निकलस ब्रस्टैड द्वारा प्रस्तुत पहले अध्ययन में 663 बच्चों और उनकी मांओं को शामिल किया गया। माताएं गर्भावस्था से लेकर अपनी संतानों के तीन साल का होने तक शोध में शामिल रहीं। शोधकर्ताओं ने इस बात पर गौर किया कि बच्चे शहरी क्षेत्रों में रह रहे हैं या ग्रामीण क्षेत्रों में और उनमें श्वास संबंधी संक्रमण कितनी बार हुआ। उन्होंने पाया कि शहरी इलाकों में रहने वाले बच्चों में तीन साल की उम्र से पहले सर्दी एवं खांसी जैसे औसतन 17 श्वसन संक्रमण हुए, जबकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों में औसतन 15 संक्रमण हुए।

शोधकर्ताओं ने गर्भावस्था के दौरान महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं के खून की विस्तृत जांच भी की और जब बच्चे चार सप्ताह के हो गए तो उनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता का वेिषण किया गया। उन्होंने पाया कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की रोग प्रतिरोधी प्रणाली में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की तुलना में अंतर पाया गया। दूसरा अध्ययन, ब्रिटेन स्थित ‘यूनिर्विसटी हॉस्पिटल्स ससेक्स एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट’ के टॉम रफल्स ने पेश किया, जिसमें स्कॉटलैंड और इंग्लैंड में रहने वाली 1,344 महिलाओं और उनके बच्चों के डेटा को शामिल किया गया।

विषेण से पाया गया कि छह महीने से अधिक समय तक स्तनपान कराने से शिशुओं और बच्चों को संक्रमण से बचाने में मदद मिली, जबकि बच्चों को ‘डे केयर’ में रखने से यह खतरा बढ़ गया। शोधकर्ताओं के अनुसार, नमीयुक्त घरों और अधिक यातायात वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में भी संक्रमण का खतरा अधिक है।

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