सूरज की किरणों से बचाने के लिए सनस्क्रीन सबसे कम प्रभावी तरीका: शोधकर्ता

नई दिल्ली : शोधकर्ताओं का कहना है कि धूप से बचाने के लिए कपड़ों और अन्य चीजों की तुलना में सनस्क्रीन आपकी स्किन को प्रोटेक्ट करने का सबसे कम प्रभावी तरीका है। कैंसर जर्नल में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, सनस्क्रीन का इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन साथ ही मेलेनोमा और स्किन कैंसर रेट भी बढ़.

नई दिल्ली : शोधकर्ताओं का कहना है कि धूप से बचाने के लिए कपड़ों और अन्य चीजों की तुलना में सनस्क्रीन आपकी स्किन को प्रोटेक्ट करने का सबसे कम प्रभावी तरीका है। कैंसर जर्नल में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, सनस्क्रीन का इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन साथ ही मेलेनोमा और स्किन कैंसर रेट भी बढ़ रहा है, जिसे शोधकर्ता ‘सनस्क्रीन पैराडॉक्स‘ कहते हैं।

कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. इवान लिट्विनोव ने कहा, ’समस्या यह है कि लोग सनस्क्रीन को सूरज की किरणों से स्किन को बचाने के लिए सबसे उपयोगी तरीका मानते हैं। लोग सोचते हैं कि वो स्किन कैंसर से भी सुरक्षा देता है।’ उन्होंने कहा, ’अधिकांश लोग पर्याप्त मात्रा में सनस्क्रीन नहीं लगाते या सुबह सनस्क्रीन लगाने के बाद घंटों तक धूप में नहीं रहते हैं, जिससे उनमें सुरक्षा का भम्र पैदा होता है।’

मेलेनोमा के बढ़ते मामलों के बीच फैक्टर्स को समझने के लिए, शोधकर्ताओं ने दो स्टडी की। पहली स्टडी में, उन्होंने पाया कि नोवा स्कोटिया और प्रिंस एडवर्ड द्वीप में रहने वाले कनाडाई लोग सन प्रोटेक्शन का ज्यादा इस्तेमाल करते है, वे धूप से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में अधिक जागरूक हैं, और यूवी इंडेक्स का पालन करने के लिए अधिक उपयुक्त हैं। इसके बावजूद, गर्म तापमान और बाहरी गतिविधियों में संलग्न रहने की प्रवृत्ति के कारण उन्हें अधिक धूप का सामना करना पड़ा।

इसी तरह, यूके बायोबैंक के दूसरी स्टडी में, शोधकर्ताओं ने पाया कि सनस्क्रीन का इस्तेमाल आश्चर्यजनक रूप से स्किन कैंसर के दो गुना से अधिक जोखिम से जुड़ा है। लिट्विनोव ने कहा, ‘ये संयुक्त निष्कर्ष एक सनस्क्रीन पैराडॉक्स का सुझाव देते हैं, जिससे व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में सनस्क्रीन या अन्य सन-प्रोटेक्शन का इस्तेमाल नहीं करते हैं, जिससे सुरक्षा का भम्र पैदा होता है।‘ उन्होंने कहा कि सन-प्रोटेक्शन और स्किन कैंसर की रोकथाम में नॉलेज और प्रैक्टिस की कमियों को दूर करने के लिए इस सनस्क्रीन पैराडॉक्स और दुनिया भर के समुदायों के यूनिक मानदंडो पर विचार करना चाहिए।

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