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पुराने Face Masks की मदद से Carbon Dioxide को हटाने की तकनीक खोजी गई

एक भारतीय के नेतृत्व वाले अनुसंधान दल ने एक नई तकनीक विकसित की है जिसमें वायु से कार्बन डाई-ऑक्साइड (सीओ2) को हटाने के लिए पुराने फेसमास्क को उपयोग में लाया जाता है। अनुसंधानकर्ताओं ने उपयोग में लाए जा चुके फेसमास्क को छिद्र युक्त रेशेदार सोखने वाले पदार्थ में परिवर्तित कर दिया। ये ऐसे पदार्थ होते हैं जो किसी सतह पर गैस, तरल या घुलनशील ठोस पदार्थ के अणुओं को खींच लेते हैं। इन सोखने वाले पदार्थ में बहुत सारे लाभ होते हैं। इनमें सोखने की उच्च दर तथा दानेदार एवं पाउडरयुक्त पदार्थों की तुलना में इसका रखरखाव करना आसान होना शामिल है।

इस टीम का नेतृत्व बेंगलूर की एलायंस यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफैसर सुनंदा राय कर रही हैं। इस टीम ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसमें विकसित रेशों या धागों में बड़ी संख्या में छिद्र तैयार किए जा सकते हैं जो सीओ2 सोखने में सक्षम हैं। इस रेशे या धागे की सतह को एमीन (अमोनिया के यौगिक) से बेहतर बनाया जाता है। इनमें नाइट्रोजन होता है जिसके कारण सीओ2 को सोखने की क्षमता और बढ़ जाती है। जर्नल कार्बन में प्रकाशित एक अध्ययन में इस नए पदार्थ की कई समकालिक अध्ययन में पाए गए पदार्थ की तुलना में सोखने की क्षमता को बहुत अधिक दिखाया गया है।

यह रेशे संदूषित जल के शोधन में भी प्रभावी
इस अध्ययन दल में झारखंड के बिड़ला इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नालॉजी, ब्रिटेन की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी, कोरिया की इन्हा यूनिवर्सिटी एवं हानयांग यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता शामिल हैं। इस टीम ने एक उत्प्रेरक आधारित ग्रेफिने फोम विकसित किया है जो सीओ2 को ईंधन में परिर्वितत कर सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी सुझाव दिया है कि छिद्र युक्त सोखने वाले रेशे कपड़ा एवं चमड़े जैसे उद्योगों से निकलने वाले संदूषित जल का शोधन में प्रयुक्त किए जाने की संभावित क्षमता रखते हैं।

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