झीलों का शहर उदयपुर, जरूर करें आप भी यहां जाने का प्लान

उदयपुर राजस्थान का ऐतिहासिक शहर तो है ही साथ ही नगर मेवाड़ के गर्वीले राज्य की राजधानी भी है। यहां महाराणा का प्रासाद, युवराज गृह, सरदार भवन एवं जगन्नाथ मंदिर दर्शनीय हैं। इनका प्रतिबिंब पचोला झील में पड़ता है। झील के मध्य में यज्ञ मंदिर एवं जलवास नामक दो जलप्रासाद हैं। उदयपुर को झीलों का.

उदयपुर राजस्थान का ऐतिहासिक शहर तो है ही साथ ही नगर मेवाड़ के गर्वीले राज्य की राजधानी भी है। यहां महाराणा का प्रासाद, युवराज गृह, सरदार भवन एवं जगन्नाथ मंदिर दर्शनीय हैं। इनका प्रतिबिंब पचोला झील में पड़ता है। झील के मध्य में यज्ञ मंदिर एवं जलवास नामक दो जलप्रासाद हैं। उदयपुर को झीलों का भी शहर कहा जाता है। यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में यहां के शासकों द्वारा बनवाए गए महल, झीलें, बगीचे तथा स्मारक ह

स्थापना : महाराणा उदयसिंह ने सन्1559 ई. में उदयपुर नगर की स्थापना की। लगातार मुगलों के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किए जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई।

उदयपुर के महाराणा का दरबार : उदयपुर को सूर्योदय का शहर कहा जाता है, जिसको 1568 में महाराणा उदयसिंह द्वारा चित्तौड़गढ़ विजय के बाद उदयपुर रियासत की राजधानी बनाया गया था। प्राचीर से घिरा हुआ उदयपुर शहर एक पर्वतश्रेणी पर स्थित है, जिसके शीर्ष पर महाराणा जी का महल है, जो सन् 1570 ई. में बनना आरंभ हुआ था। उदयपुर के पश्चिम में पिछोला झील है, जिस पर दो छोटे द्वीप और संगमरमर से बने महल हैं, इनमें से एक में मुगल शहंशाह शाहजहां ने तख्त पर बैठने से पहले अपने पिता जहांगीर से विद्रोह करके शरण ली थी।

सन् 1572 ई. में महाराणा उदयसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था। उन दिनों एक मात्र यही ऐसे शासक थे जिन्होंने मुगलों की अधीनता नहीं स्वीकारी थी। महाराणा प्रताप एवं मुगल सम्राट अकबर के बीच हुआ हल्दीघाटी का घमासान युद्ध मातृभूमि की रक्षा के लिए इतिहास प्रसिद्ध है। यह युद्ध किसी धर्म, जाति अथवा साम्राज्य विस्तार की भावना से नहीं, बल्कि स्वाभिमान एवं मातृभूमि के गौरव की रक्षा के लिए ही हुआ।

मेवाड़ : मेवाड़ राजस्थान के दक्षिण मध्य में एक रियासत थी। मेवाड़ को उदयपुर राज्य के नाम से भी जाना जाता था। इसमें आधुनिक भारत के उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, तथा चित्तौडगढ़ ज़िले थे। सैकड़ों सालों तक यहां राजपूतों का शासन रहा और इस पर गहलौत तथा सिसोदिया राजाओं ने 1200 साल तक राज किया था। अलाऊद्दीन ख़िलजी ने 1303 ई. में मेवाड़ के गहलौत राजवंश के शासक रतनिसंह को पराजित कर मेवाड़ को दिल्ली सल्तनत में मिलाया।

खास बातें : उदयपुर के कारखनों में रसायन, एस्बेस्टॅस और चिकनी मिट्टी का उत्पादन होता है। उदयपुर में कपड़े, कसीदाकारी की हुई वस्तुएं, हाथीदांत और लाख के हस्तशिल्प का भी निर्माण होता है।

यातायात और परिवहन: महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, उदयपुर।

हवाई मार्ग : उदयपुर का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा डबौक में है। जयपुर, जोधपुर, दिल्ली तथा मुंबई से यहां के लिए नियमति उड़ानें उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग : उदयपुर का रेलवे स्टेशन देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग : उदयपुर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर स्थित है।

- विज्ञापन -

Latest News