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domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114नई दिल्ली। भारत में टय़ूबरक्लोसिस (टीबी) के इलाज का कवरेज दुनिया के 30 सबसे ज्यादा टीबी से पीड़ित देशों में सबसे ऊंचा है। यह हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में सामने आया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत उन सात देशों में शामिल है जिनका इलाज कवरेज 80 प्रतिशत से ज्यादा है। इन देशों में ब्राजील, मोजाम्बिक, पापुआ न्यू गिनी, सिएरा लियोन, युगांडा और जाम्बिया भी शामिल हैं। भारत में टीबी मरीजों के परिवार के सदस्यों और एचआईवी संक्रमित लोगों के लिए निवारक चिकित्सा में भी इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 12.2 लाख लोगों को निवारक चिकित्सा दी गई, जबकि 2022 में यह संख्या 10.2 लाख और 2021 में 4.2 लाख थी। टीबी की दवाएं महंगी होती हैं और इलाज में दो साल तक का समय लग सकता है, जो परिवार के खर्चे बढ़ा सकता है। लेकिन सरकार फिलहाल मुफ्त दवाएं प्रदान कर रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, इलाज के बाद 89 प्रतिशत सामान्य टीबी के मरीज ठीक हो गए। वहीं, दवा प्रतिरोधी मामलों में 73 प्रतिशत मरीज और गहन दवा प्रतिरोधी मामलों में 69 प्रतिशत मरीज ठीक हुए। भारत ने 2025 तक टीबी खत्म करने का लक्ष्य रखा है, जो वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले है। लेकिन 2023 में भारत में 28 लाख टीबी के मामले दर्ज हुए, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है और 26 प्रतिशत वैश्विक टीबी का भार भारत पर है। भारत में टीबी से संबंधित अनुमानित 3.15 लाख मौतें हुई, जो वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों का 29 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अनुमानित मामलों और वास्तव में जांच के जरिए पाए गए मामलों के बीच की खाई कम हो रही है। 2023 में भारत में 25.2 लाख मामलों की पुष्टि हुई, जो 2022 में 24.2 लाख थी। वैश्विक स्तर पर, डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह पाया गया कि 2023 में टीबी फिर से सबसे घातक संक्रामक बीमारी के रूप में उभरी और इस मामले में इसने कोविड-19 को पीछे छोड़ दिया था। 2023 में लगभग 8.2 मिलियन टीबी के नए मामले सामने आए, जो 2022 में दर्ज 7.5 मिलियन मामलों से अधिक हैं।