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देखिये 19 किलों की ऐसी रामायण जो 222 तोले सोने की स्याही से लिखी गई और हीरे-चांदी से सजाई गई , जिसके किस्मत वालों को होते दर्शन

Gold Ramayana: देशभर में भगवान श्री राम के जन्म को भक्तों द्वारा बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन राम भक्तों को सोने की रामायण देखने को मिलती है। यह स्वर्ण रामायण भक्तों के दर्शन के लिए सालभर में महज एक दिन ही रखी जाती है। गुजरात के सूरत में 19 किलो सोने.

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Gold Ramayana: देशभर में भगवान श्री राम के जन्म को भक्तों द्वारा बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन राम भक्तों को सोने की रामायण देखने को मिलती है। यह स्वर्ण रामायण भक्तों के दर्शन के लिए सालभर में महज एक दिन ही रखी जाती है। गुजरात के सूरत में 19 किलो सोने की एक दुर्लभ रामायण है, जिसके साल में सिर्फ एक दिन रामनवमी को दर्शन करवाए जाते हैं।

श्रीराम के भक्त उनके प्रति अपने प्रेम-भाव को साबित करने के लिए हर हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। एक ऐसे ही रामभक्त थे रामभाई गोकर्णभाई जिन्होंने 1981 में एक अद्भुत तरीके से रामायण लिख अपनी भक्ति की प्रमाण पत्र दिया था। सूरत के भेस्तान स्थित लुहार फलिया में 222 तोले सोने की स्याही से लिखी गई इस रामायण को 25 मार्च, 2018 रामनवमी के दिन भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया था।

सूरत के राम भक्त ने हीरे से सजी सोने से लिखी रामायण का अनावरण किया | सूरत  के राम भक्त ने हीरे से सजी सोने से लिखी रामायण का अनावरण किया - गुजरात  समाचार

इसमें खासियत क्या थी, इसके बारे में किसी को पता नहीं है तो आईए आपको बताएं इसके बार में ‘रामभाई गोकर्णभाई भक्त ने 19 किलो वजनी और 530 पन्ने की रामायण लिखी जिसमें उन्होंने 222 तोला सोने की स्याही का प्रयोग किया था, और इतना ही नहीं 10 किलो चांदी, चार हजार हीरा के साथ माणिक और पन्ना जैसे रत्नों को प्रयोग में लाया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि किताब में जो जिल्द चढ़ाई गई है वो 5 किलो की चांदी की है।

लिखने में लगा कितना समय?
दरअसल, स्वर्ण रामायण के मुख्य पन्ने पर एक तोला सोने से भगवान शिव और आधा तोला सोने से हनुमान जी की आकृति बनाई गई है। राम भक्त राम भाई ने साल 1981 में इस स्वर्ण रामायण को विशेष पुष्य नक्षत्र में लिखा था। यह रामायण कुल 9 महीने और 9 घंटे में लिखी गई, जिसे लिखने का काम 12 लोगों ने मिलकर किया। राम के जीवन को 530 पन्नों में दर्शाया गया है। इस रामायण में श्रीराम के नाम को 5 करोड़ बार लिखा गया है।

सूरत भेस्तान निवासी रामभाई गोकर्णभाई भक्त के परपोते गुरुवंत भाई ने एक एक मीडिया को बताते हुए कहा कि, विश्व की यह पहली रामायण है जिसे लिखने में पूरी तरह से हीरे, माणिक, पन्ना और नीलम का प्रयोग किया गया है। अगर इस किताब की कीमत को आंका जाए तो करोड़ो में आएगी।

रामायण के मेन पेज पर एक तोले चांदी की शिवजी की प्रतिमा, आधा तोले की, हनुमान जी और आधे तोले की गणेश प्रतिमा उत्कीर्ण की गई है। गुरुवंत भाई की दी गई जानकारी के मुताबिक, इस रामायण के कागज जर्मनी से मंगवाए गए थे। इस कागज की खासियत यह है कि इसे धोने के बाद इसपर दोबारा लिखा जा सकता है। यह कागज की सफेदी की बात करें तो अगर इसे धुले हुए हाथों से छुआ जाए तो इसमें दाग पड़ जाते हैं। 25 मार्च में श्रीराम जी के जन्मदिन के अवसर पर सोने से लिखी गई इस रामायण की पूजा की जाती है। भक्त इसके दर्शन साल में सिर्फ तीन बार गुरुपूर्णिमा, रामनवमी और दीपावली के दूसरे दिन यानी नववर्ष पर ही कर पाते हैं। दर्शन के बाद इसे बैंक में रख दिया जाता है। सूरत के भेस्तान इलाके के रामकुंज में रहने वाले दंपत्ति राजेश कुमार भक्त और इंदिराबेन भक्त उनके दादा राम भक्त के स्वर्गवास के बाद इस स्वर्णिम रामायण को इन दिनों सहेज कर रख रहे हैं।

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