सड़क दुर्घटना के कारण 44% लोग रीढ़ की हड्डी की चोटों से ग्रसित होते हैंः रिपोर्ट

इन खतरनाक आंकड़ों के बीच जागरूकता फैलते हुए आईएसआईसी ने एससीआई दिवस 2023 मनाया नई दिल्लीः इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (आईएसआईसी) ने 2012 से 2022 में एक अध्ययन कराया जिसमें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (एससीआई) से संबंधित कई चौकने वाले खुलासे सामने आये। इसमें यह पता चला कि लोगों में यातायात के दौरान कई लापरवाही जैसे-.

इन खतरनाक आंकड़ों के बीच जागरूकता फैलते हुए आईएसआईसी ने एससीआई दिवस 2023 मनाया

नई दिल्लीः इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (आईएसआईसी) ने 2012 से 2022 में एक अध्ययन कराया जिसमें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (एससीआई) से संबंधित कई चौकने वाले खुलासे सामने आये। इसमें यह पता चला कि लोगों में यातायात के दौरान कई लापरवाही जैसे- सीट बेल्ट, हेलमेट पहनना, यातायात नियमों का पालन ना करने से सड़क दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी की चोटों से वे ग्रसित होते हैं। सड़क दुर्घटना में 661 व्यक्तियों (44%) और सामान्य गिरने से 588 व्यक्तियों (38.3%) के कारण आईएसआईसी में ऐसे रोगियों की कुल संख्या 1,537 थी। इस अध्ययन से अस्पताल में 1138 दाखिलों के आधार पर, 2002-2010 की अवधि के दौरान सड़क यातायात दुर्घटनाएं (45%) और ऊंचाई से गिरने से (39.63%) लोग शामिल थे।

कई विकसित देशो से तुलना करने पर भी कई आश्चर्यजनक आकड़ें सामने आये जिसमें बर्मिंघम, यूके (2010-2018) के नेशनल स्पाइनल कॉर्ड इंजरी स्टैटिस्टिकल सेंटर (एनएससीआईएससी) के आंकड़ों से पता चलता है कि 38.52% मामलों में वाहन दुर्घटनाएं, 31.13% ऊंचाई से गिरना, 13.55% हिंसात्मक कृत्य, मनोरंजक गतिविधियाँ 8.57% और खेल शामिल हैं। प्रतिवर्ष 5 सितंबर को मनाए जाने वाले स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (एससीआई) दिवस के अवसर पर आईएसआईसी ने “एससीआई सेवाओं तक पहुंच – कम जटिल जीवन” के मद्देनजर इंटरनेशनल स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी (आईएससीओएस) के साथ हाथ मिलाया है। इस वर्ष की थीम खतरनाक रीढ़ की हड्डी की चोटों के समाधान और एससीआई रोगियों के लिए एक समुचित समाधान के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने लिए रेखांकित करती है।

आईएसआईसी में स्पाइन सर्विसेज के चीफ, डॉ. विकास टंडन ने कहा कि, “रीढ़ की हड्डी की चोटों से पूरा जीवन प्रभावित होता है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के समस्याएं उत्पन्न करता बल्कि इससे रोगी भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि हमारे आंकड़े भारत में सड़क यातायात दुर्घटनाओं की लगातार चुनौती को उजागर कर रहे हैं। हम लोगों से सरकार द्वार की जा रही पहल को लेकर सचेत रहने के साथ साथ, इस दिशा में समझदारी से दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हैं। डॉ. टंडन ने कहा कि हमारा उद्देश्य रीढ़ की हड्डी की चोटों से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए अंतिम समय तक समाधान निकालने के लिए अपना योगदान दे कर समाज को आगे बढ़ाना है।

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