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उत्तर प्रदेश के 8 गौरवों को पद्म पुरस्कार, इन हस्तियों की उपलब्धियों पर एक नजर

लखनऊ: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार 2025 की घोषणा हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश की आठ विभूतियों को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा जाएगा। इनमें छह को पद्मश्री और दो को पद्मभूषण से

लखनऊ: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार 2025 की घोषणा हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश की आठ विभूतियों को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा जाएगा। इनमें छह को पद्मश्री और दो को पद्मभूषण से सम्मानित किया जाएगा। ये सम्मान उन व्यक्तियों को प्रदान किए गए हैं जिन्होंने विज्ञान, साहित्य, शिक्षा, समाजसेवा, कला, खेल, और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपने असाधारण योगदान से प्रदेश और देश का गौरव बढ़ाया है।

इस सूची में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, साहित्यकार गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, केजीएमयू की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद, कुशीनगर के श्रीनारायण उर्फ भुलई भाई (मरणोपरांत), और खेल क्षेत्र से सत्यपाल सिंह शामिल हैं। वहीं, प्रतिष्ठित पद्मभूषण पुरस्कार से पत्रकारिता के क्षेत्र में राम बहादुर राय और समाजसेवा में साध्वी ऋतंभरा को सम्मानित किया जाएगा।

ये विभूतियां न केवल उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को सशक्त करती हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। आइए, इन हस्तियों की उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर आशुतोष शर्मा को नैनोसाइंस और नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उनकी विशिष्ट सेवा के लिए पद्म श्री 2025 से सम्मानित किया जाएगा। प्रोफेसर शर्मा एक प्रख्यात शिक्षाविद् हैं। वह नैनोस्केल प्रणालियों के व्यवहार की समझ में मूल अग्रणी योगदान के लिए इंजीनियरिंग विज्ञान में प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। 1997 में प्रो. आशुतोष शर्मा आईआईटी कानपुर में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर बन गए थे, तब से वह लगातार आईआईटी कानपुर से जुड़े हैं।

पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्मश्री मिला है। द्रविड़ ने ही अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शुभ मुहूर्त निकाला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन का भी मुहूर्त निकाला था। वह लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री के प्रस्तावक भी रहे।

ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ का जन्म 9 दिसंबर 1958 को काशी के रामनगर में हुआ। उन्हें सभी शास्त्रों का ज्ञान है। शास्त्रों का समन्वय बनाकर एक सिद्धांत बताने में उन्हें महारत हासिल है।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को चिंतन और संघर्ष के लंबे अनुभव ने पद्म श्री के मुकाम तक पहुंचाया। उन्नाव के छोटे से गांव लउवा में जन्मे दीक्षित आपातकाल के दौरान 19 माह जेल में रहे थे। आरएसएस के स्वयंसेवक से अपनी समाजसेवा की यात्रा प्रारंभ करने वाले दीक्षित जिला परिषद उन्नाव के सदस्य भी रहे हैं। हृदय नारायण दीक्षित 2010-2016 तक विधान परिषद में भाजपा विधायक दल के नेता भी रहे। दीक्षित विभिन्न दैनिक पत्रों और पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते हैं। अब तक उनके कई हजार लेख प्रकाशित हो चुके हैं। वेद और दर्शन के वह मर्मज्ञ माने जाते हैं।

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। डॉ. नित्यानंद को मेडिसिन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए यह पुरस्कार दिया गया। प्रो. सोनिया नित्यानंद के नाम एसजीपीजीआई में हेमेटोलॉजी विभाग शुरू करने की बड़ी उपलब्धि भी है। प्रो. सोनिया ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने जाने पर सभी का आभार जताया है। वह प्रो. सरोज चूड़ामणि के बाद केजीएमयू की बागडोर संभालने वाली दूसरी महिला कुलपति हैं। इससे पहले वह लोहिया संस्थान की निदेशक भी रह चुकी हैं। प्रो. सोनिया ने पढ़ाई केजीएमयू से ही की है।

कुशीनगर जिले के रामकोला क्षेत्र स्थित पगार गांव के रहने वाले श्रीनारायण उर्फ भुलई भाई को मरणोपरांत पद्मश्री मिला है। पहली बार जनसंघ से विधायक बने भुलई भाई ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल थे। 111 साल की उम्र में उन्होंने वर्ष 2024 में अंतिम सांस ली। कोविड काल में भुलई भाई तब चर्चा में आए थे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद फोन करके उनका हालचाल लिया था।

पद्मभूषण सम्मान से नवाजे जाने वाले राम बहादुर राय भारत के जाने-माने पत्रकार हैं। वर्तमान में वह इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स के अध्यक्ष हैं। राम बहादुर राय कई वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाते हुए देश के विभिन्न प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में काम किया। इन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। 2015 में इन्हें पद्मश्री के सम्मान से भी पुरस्कृत किया जा चुका है।

साध्वी ऋतंभरा भारत की एक प्रख्यात हिंदू संत, वक्ता और समाजसेवी हैं। सैकड़ों निराश्रित बच्चों की पालनहार बनी दीदी मां को उनकी तपस्या भरी समाजसेवा को देख उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया। वह वात्सल्य ग्राम नामक एक सामाजिक संस्था की संस्थापक हैं। वह अपने तेजस्वी प्रवचनों और हिंदुत्व विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रसिद्ध हैं। साध्वी ऋतंभरा को उनके अनुयायी दीदी मां के नाम से भी जानते हैं। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा उन्होंने देश-विदेश में श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से धर्म का प्रचार-प्रसार कर लोगों को अध्यात्म से जोड़ने का कार्य किया।

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