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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114भारतीय सेना के निरंतर नवीनीकरण और सेना के ढांचे में युवा शक्ति के प्रवेश के लिए अग्निवीरों की भर्ती योजना पेश की गई थी। इसमें नौजवानों को चार साल के लिए भर्ती किया जाना था। उसके बाद एक परीक्षा के बाद उनमें से बहुतेरे नियमित कर दिए जाते और तलछट सेवानिवृत्त करके उन्हें देश की सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की वैकल्पिक सेवाओं में प्राथमिकता दी जाती। यह योजना बहुत विवादास्पद हुई थी लेकिन क्योंकि इसे बहुत सोच-समझकर लागू किया गया था ताकि भारतीय सेना में नौजवानों की निरंतर भर्ती होती रहे।
इसमें भर्ती के प्रति नौजवानों ने बहुत उत्साह से इसमें प्रवेश का जोश दिखाया। लेकिन इसमें कुछ व्यवहारिक कठिनाइयां भी आईं जिनकी ओर ध्यान देने के लिए भारत सरकार ने एक नया फैसला किया है। यह फैसला रक्षा मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति ने किया है। ऐतराज यह था कि ऐसे अग्निवीर जो अपना कर्त्तव्य निभाते हुए शत्रु से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त होते हैं, उनको भी नियमित सैनिकों की तरह से सभी लाभ और उनके परिवार को पैंशन मिलनी चाहिए। अभी अग्निवीरों के लिए जो नियम बनाए गए थे, उसमें ऐसे बलिदानी अग्निवीरों के परिवार के लिए पैंशन नहीं रखी गई थी। जिला सैनिक बोर्डों की समीक्षा रिपोर्ट में यह कहा गया है कि ऐसे बलिदानी वीरों को पैंशन दी जाए।
उन्हें हर स्तर पर नियमित सैनिकों के बराबर रखा जाए। उनके परिवारों को सभी एक्स-ग्रेशिया ग्रांट दे दी जाएं। यह भी देखा जाए कि जो अग्निवीर हर चार साल बाद सेवानिवृत्त होते हैं, उनको खाली हो रही असामियों में भर्ती करने की सूचना सरकार स्वयं दे। रिपोर्ट कहती है कि अभी तक अग्निवीरों के लिए सेना से निवृत्त होने पर दुर्भाग्य से उनके लिए न तो कोई नौकरी की गारंटी हैं, न उनकी दुनियावी निपुणता के विकास के लिए कोई कार्यक्रम बनाए गए हैं। अभी केवल केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल में उनके लिए कुछ नौकरियां आरक्षित कर दी गई हैं। लेकिन यह प्रशासन की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि जो अग्निवीर कुछ सालों के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उन्हें उस आसामी के बारे में सूचना दी जाए, जो उसे समेट सकती है। यह भी देखा जाए कि उसके लिए शारीरिक और लिखित परीक्षाओं का वह सामना करे। इसके लिए हर राज्य में एक से नियम बनाए जाएं।
ग्रामीण युवकों के लिए सेना में भर्ती होना एक रूपहला सपना होता है। वह इसके लिए शारीरिक और लिखित परीक्षाओं का प्रशिक्षण पहले से ही शुरू कर देते हैं। भर्ती के लिए सैकड़ों नौजवान इकट्ठे होते हैं। अब जब उनको नियमित भर्ती नहीं मिलती और चार साल की अग्निवीर सेवा पहले चरण पर प्रेषित की जाती है तो अंदाजा था कि शायद नौजवान ऐसी भर्ती से उपराम हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। देश की युवा शक्ति के लिए सेना में भर्ती होना और देश की रक्षा के लिए सरहदों पर जाना एक गौरव की बात है। अब उनकी समस्याओं की ओर, सुरक्षा संसदीय कमेटी ने सही ध्यान दिया है। उनके बलिदानों को नजरअंदाज नहीं किया और नियमित सैनिकों की तरह से उनके लिए पैंशन और अन्य लाभों का प्रावधान करने का प्रस्ताव भी पेश कर दिया है। अगर सरकार यह जिम्मेदारी ले लेती है कि सेवानिवृत्त अग्निवीरों को वैकल्पिक रोजगार दिलाने के लिए पूरी सूचना और सुविधा पैदा की जाए तो निश्चय ही इस योजना को बहुत सफल माना जाएगा। इससे एक तो भारतीय सेना का निरंतर नवीनीकरण हो जाएगा। तीन-चार चरणों के बाद पूरी सेना एक युवा तेवर के साथ शत्रुओं से जूझने के लिए सामने आ जाएगी। ऐसा होना बिल्कुल उस उद्देश्य को पूरा करेगा जिसको लेकर सुरक्षा विशारदों ने अगिनवीरों की भर्ती की यह योजना सेना के लिए तैयार की थी।