नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने रविवार को महाराष्ट्र की राजनीति, राहुल गांधी और जॉर्ज सोरोस कनेक्शन पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आदित्य ठाकरे को अवसरवादी करार दिया। प्रदीप भंडारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आदित्य ठाकरे अगर कांग्रेस पार्टी को इतनी नसीहत दे रहे हैं, तो उन्हें यह साफ तौर पर कह देना चाहिए कि वह राहुल गांधी के साथ अपना गठबंधन तोड़ रहे हैं। आदित्य ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कांग्रेस से गठबंधन करते हैं। महाराष्ट्र की जनता ने उनके नेतृत्व को नकार दिया है। जब आदित्य ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व के सिद्धांतों को त्याग दिया था, तो महाराष्ट्र की जनता ने उन्हें उनकी जगह दिखाई और उनकी पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। आदित्य ठाकरे को अब भी समझ नहीं आ रहा है और वह फिर से राहुल गांधी के साथ गठबंधन में हैं, जो कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन को सिर्फ अपनी जरूरत और सहमति के रूप में देखते हैं।
उन्होंने ने आगे कहा कि वह मीडिया में कांग्रेस पार्टी को नसीहत देने के बावजूद, निजी रूप से उनके साथ गठबंधन करते हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर आदित्य ठाकरे की राजनीतिक नीयत साफ है, तो उन्हें राहुल गांधी के साथ गठबंधन तुरंत तोड़ देना चाहिए, क्योंकि वह उन सिद्धांतों का पालन नहीं कर रहे जो बाला साहेब ठाकरे और शिवसेना के आदशरें का हिस्सा थे। अगर आदित्य ठाकरे अपने शब्दों के पीछे खड़े हैं, तो उन्हें राहुल गांधी से अपना गठबंधन तुरंत तोड़ना चाहिए। परंतु, वे ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि उनके लिए यह गठबंधन राजनीतिक जरूरत बन चुका है, न कि सिद्धांतों का पालन।
प्रदीप भंडारी ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के विदेशी कनेक्शनों को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि देश में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि यदि किसी के पास रिमोट कंट्रोल है, तो वह विदेशी ताकतों के पास है, खासकर जॉर्ज सोरोस के पास। उन्होंने दावा किया कि जॉर्ज सोरोस की फाउंडेशन में सोनिया गांधी का महत्वपूर्ण स्थान है और इस फाउंडेशन का उद्देश्य भारत के कश्मीर को अलग करना है। उन्होंने यह भी कहा कि हर्ष मंदर जैसे व्यक्तित्व जो जॉर्ज सोरोस के संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर हैं, पहले सोनिया गांधी की राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस के विचार भारत की आर्थिक स्थिति को संकट में डालने के हैं। राहुल गांधी इन विचारों को अपने राजनीतिक एजेंडे के तहत आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जॉर्ज सोरोस की नीति भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ है, और राहुल गांधी उनके विचारों को अपने राजनीतिक फायदे के लिए लागू करना चाहते हैं।