अहमदाबादः वाघ बकरी समूह के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई (Parag Desai) (50) की उनके बोपल आवास के पास आवारा कुत्ते के हमले से हुई मौत के मद्देनजर, अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) (Municipal Corporation) ने आवारा कुत्ताें की आबादी रोकने को अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि एएमसी का मवेशी नियंत्रण और उपद्रव विभाग (सीसीएनडी) आवारा कुत्ताें के नसबंदी अभियान का नेतृत्व कर रहा है, और यह काम 25 अक्टूबर को शुरू हुआ।
यह पहल तब हुई है जब एएमसी ने बोपल से घुमा तक लगभग 200 आवारा कुत्ताें की पहचान की है। इसके आलोक में अब तक करीब 40 कुत्ताें को नसबंदी के लिए पकड़ा जा चुका है। इस प्रयास को बढ़ावा देने के लिए, एएमसी ने इस नसबंदी अभियान में गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के साथ सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से 8 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया है। नसबंदी अभियान के ऐतिहासिक अवलोकन से बड़े पैमाने पर निवेश का पता चलता है, इसमें 2020 से 2023 तक 9.11 करोड़ रुपए की कुल लागत से 98,333 कुत्ताें की नसबंदी की गई। चालू वर्ष में 10 महीने की अवधि के भीतर 25,993 कुत्ताें की नसबंदी की गई, जिस पर 2.53 करोड़ रुपये का खर्च आया।
वर्तमान में, चार गैर सरकारी संगठन इस नसबंदी मिशन के लिए एएमसी के साथ साझेदारी में हैं। एएमसी प्रत्येक कुत्ते की नसबंदी के लिए 976.50 रुपए का भुगतान करती है। 2019-20 के बाद एएमसी के अधिकार क्षेत्र के विस्तार से आवारा कुत्ताें की अनुमानित आबादी लगभग 3.75 लाख हो गई है, लेकिन रिकॉर्ड बताते हैं कि अब तक केवल 1.5 लाख कुत्ताें की नसबंदी की गई है।
इस पहल में सक्रिय रूप से शामिल चार गैर सरकारी संगठन पीपल फॉर एनिमल्स, गोल फाउंडेशन, यश डोमेस्टिक रिसर्च सेंटर और संस्कार एजुकेशन ट्रस्ट हैं, प्रत्येक अलग-अलग शहर क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार हैं। जहां पीपल फॉर एनिमल्स उत्तर पश्चिम और पश्चिम क्षेत्र में काम करता है, वहीं गोल फाउंडेशन दक्षिण पश्चिम क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करता है। यश डोमेस्टिक रिसर्च सेंटर उत्तर और पूर्व क्षेत्र को संभालता है, और संस्कार एजुकेशन ट्रस्ट दक्षिण और मध्य क्षेत्र को कवर करता है।