टी/ए 912 के अनुसार लोको पायलट को सामान्य गति से रेड सिग्नल पार करना अनिवार्य नहीं

रेलवे के अनुसार सिग्नल पार करने के बाद लोको पायलट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी ट्रेन और पिछली ट्रेन या लाइन पर किसी भी अवरोध के बीच कम से कम 150 मीटर या दो स्पष्ट ओएचई स्पैन की दूरी बनी रहे।

नयी दिल्ली: रेलवे ने कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकराने वाली मालगाड़ी के लोको पायलट को टी/ए 912 नामक लिखित प्राधिकरण जारी किये जाने के संबंध में स्पष्टीकरण दिया है और कहा है कि यह कहना उचित नहीं है कि टी/ए 912 के अनुसार लोको पायलट को सामान्य गति से रेड सिग्नल पार करना अनिवार्य है।

रेलवे ने सोमवार को कहा, “रेलवे नियमों के अनुसार जब किसी लोको पायलट को टी/ए 912 नामक लिखित प्राधिकरण दिया जाता है और उसे रेड सिग्नल पार करना होता है तो उसे 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सिग्नल के पास जाना होता है। साथ ही ट्रेन को सिग्नल के पीछे जितना संभव हो सके उतना करीब लाना होता है। सिग्नल पर दिन के समय 01 मिनट और रात के समय 02 मिनट तक रुकना होता है और फिर 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना होता है।”

रेलवे के अनुसार सिग्नल पार करने के बाद लोको पायलट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी ट्रेन और पिछली ट्रेन या लाइन पर किसी भी अवरोध के बीच कम से कम 150 मीटर या दो स्पष्ट ओएचई स्पैन की दूरी बनी रहे।

रेलवे ने कहा कि यह कहना गलत है कि टी/ए 912 के अनुसार लोको पायलट को सामान्य गति से रेड सिग्नल पार करना अनिवार्य है।

उल्लेखनीय है कि कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के संबंध में एक मीडिया ने खबर प्रकाशित की थी कि दुर्घटना में मालगाड़ी के चालक की कोई गलती नहीं थी। रिपोर्ट में रेलवे के सूत्र के हवाले से दावा किया गया था कि रानीपात्रा के स्टेशन मास्टर द्वारा मालगाड़ी के चालक को टीए 912 नामक एक लिखित प्राधिकरण जारी किया गया था, जिसमें उसे सभी लाल सिग्नल पार करने का अधिकार दिया गया था।

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