असद 12वीं कर विदेश पढ़ाई के लिए जाने वाला था विदेश

प्रयागराज : माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद का तीसरे नंबर का बेटा असद 12वीं करने के बाद विदेश में पढ़ने जाने वाला था लेकिन परिवार की अपराधिक पृष्ठभूमि होने के कारण उसे पासपोर्ट नहीं मिला। अतीक अहमद के पांच बेटे में तीसरे नंबर पर असद था। उससे बडे दो भाई उमर और अली भी.

प्रयागराज : माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद का तीसरे नंबर का बेटा असद 12वीं करने के बाद विदेश में पढ़ने जाने वाला था लेकिन परिवार की अपराधिक पृष्ठभूमि होने के कारण उसे पासपोर्ट नहीं मिला। अतीक अहमद के पांच बेटे में तीसरे नंबर पर असद था। उससे बडे दो भाई उमर और अली भी नैनी और लखनऊ की जेल में बंद है। दो छोटे भाई एहजम और आबान धूमनगंज थाना क्षेत्र के राजरुपपुर बाल सुधार गृह में बंद है। असद के ऊपर इससे पहले कोई मामला दर्ज नहीं था। उमेश पाल हत्याकांड में पहली बार वह दोषी पाया गया।

चकिया क्षेत्र में कुछ लोगों ने अतीक और असद के बारे में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। केवल यह सुना है कि असद की कल मुठभेड में मौत हो गयी। 45 वर्षीय रजिया ने कहा कि सांसद जी इज्जतदार इंसान है। वह हमेशा गरीबों की मदद करते थे। शादी-ब्याह में मदद देते थे। हम मानते हैं कि बच्चे से गलती हुई है। उसे एक बार सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए था। उसे आजीवन कारावास दे देते, उसे तो उड़ा ही दिया। यह कैसा न्याय है। चकिया क्षेत्र के 60 वर्षीय वसीम (परिवर्तित नाम) ने बताया कि वह हमारे सामने ही पैदा हुआ। ऐसा उसका हश्र होगा कल्पना नहीं किया था। कान्वेंट से पढ़ाई कर रहा था। वह पढ़ने में होशियार था लेकिन गुस्सैल भी बहुत था। 12वीं करने के बाद विदेश पढ़ने जाने वाला था लेकिन उसके परिवार की अपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के कारण जांच के बाद उसे बाहर जाने का पासपोर्ट नहीं मिल सका।

उन्होंने बताया कि एक बार गुस्से में उसने अपने स्कूल के एक अध्यापक को चांटा तक मार दिया था। पिता अतीक अहमद की तूती इस कदर बोलती थी कि स्कूल प्रबंधन ने इसकी शिकायत थाने में दर्ज ही नहीं करायी। असद को अपने कर्मो की सजा इतनी जल्दी मिलेगी, किसी ने सोचा नहीं था । वसीम ने बताया कि उसका पुराना इतिहास रहा है कि किसी उभरते व्यक्ति की हत्या कर परिवार को जरायम की दुनिया में लांच करता था। अपने जमाने के कुख्यात चांद बाबा की हत्या कर उसने अपने को अपराध की दुनिया में स्थपित किया था। चांद बाबा के रहते उसे कामयाबी नहीं मिल रही थी। राजू पाल की हत्या कर उसने अपने छोटे भाई अशरफ को स्थापित किया था। अब उसने अपने तीसरे नंबर के बेटा असद को स्थापित करने के लिए उमेश पाल की हत्या को अंजाम देकर साम्राज्य की बागडोर असद को देना चाहता था लेकिन उसे नहीं पता था कि उमेश पाल की हत्या उसके परिवार की बर्बादी साबित होगी। गौरतलब है कि गुरुवार को दोपहर में झांसी के बडागांव थानाक्षेत्र में यूपीएसटीएफ ने सशस्त्र मुठभेड में असद और मोहम्मद गुलाम को मार गिराया।

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