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‘बिहार जाति सर्वेक्षण में एक जाति को लाभ पहुंचाने के लिए आबादी के आंकड़ों में गड़बड़ी की गई’

नई दिल्लीः लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने बिहार सरकार द्वारा साझा किए गए जाति आधारित गणना के आंकड़ों को एक ‘‘राजनीतिक साजिश’’ करार देते हुए मंगलवार को खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया कि गणना में कुछ जातियों की संख्या बढ़ा दी गई जबकि कुछ अन्य की संख्या कम कर दी गई है, जिसमें पासवान भी शामिल हैं। लोकसभा सदस्य ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘बिहार सरकार द्वारा जारी जाति आधारित गणना के आंकड़ों में राजनीतिक साजिश स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।

राजनीतिक लाभ के लिए एक जाति के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए हैं, जबकि कई जातियों की वास्तविक जनसंख्या से कम दिखाने का प्रयास किया गया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में कई ‘‘छोटी’’ जातियां हैं जिनकी वास्तविक संख्या नहीं दिखाई गई है। साथ ही कहा कि कई अन्य पिछड़े समुदायों के साथ भी इसी तरह का व्यवहार किया गया है। पासवान ने दावा किया कि राज्य सरकार ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए इन आंकड़ों को साझा किया है और इस प्रक्रिया में कोई पारर्दिशता नहीं बरती गई है।

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उन्होंने दावा किया कि कौन किस जाति का है, इसकी जानकारी राजनीतिक कार्यकर्ताओं से लेकर आम बिहारवासी तक से नहीं मांगी गई। चिराग पासवान ने कहा, ‘‘इन आंकड़ों को सही करने की जरूरत है।’’ बिहार में नीतीश कुमार नीत सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है।

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