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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114नई दिल्ली: आयकर विभाग ने तमिलनाडु और पुडुचेरी क्षेत्र में मुख्य रूप से शैक्षणिक संस्थान और एक डिस्टिलरी चलाने वाले दो समूहों पर की गई तलाशी और जब्ती कार्रवाई के बाद 900 करोड़ रुपये के काले धन का खुलासा किया है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह बात कही।
आयकर अधिकारियों ने 5 अक्टूबर को मारे गए छापों में 32 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी और 28 करोड़ रुपये के सोने के सिक्के जब्त किए हैं। ये समूह फार्मास्यूटिकल्स, अस्पताल और होटल आदि जैसे अन्य व्यवसाय भी चला रहे हैं। तमिलनाडु और पुडुचेरी में तलाशी कार्रवाई के दौरान लगभग 100 परिसरों को कवर किया गया। अब तक के प्रारंभिक विश्ज़्लेषण के परिणामस्वरूप शैक्षणिक संस्थानों द्वारा 400 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब फीस प्राप्तियों और 25 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति के वितरण के गलत दावे के साक्ष्य एकत्र किए गए हैं।
आयकर विभाग ने एक बयान में कहा कि एक समूह में जब्त किए गए साक्ष्य से संकेत मिलता है कि ट्रस्ट छात्रों को आकर्षति करने के लिए एजेंटों की सेवाओं का उपयोग कर रहा था, जिसके लिए लगभग 25 करोड़ रुपये का बेहिसाब कमीशन भुगतान किया गया है।
खाते की किताबों में दर्ज न की गई फीस की रसीद और छात्रवृत्ति के गैर-वास्तविक वितरण के दावे के बारे में बड़े पैमाने पर सबूत जब्त किए गए हैं। एक समूह द्वारा चलाए जा रहे डिस्टिलरी व्यवसाय में यह पाया गया है कि बोतलें, फ्लेवर, एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल और माल ढुलाई शुल्क आदि जैसे इनपुट की खरीद के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये के फर्जी व्यय का दावा किया गया है।
ऐसी खरीदारी की पुष्टि खरीद चालान या स्टॉक रजिस्टर में प्रविष्टियों से नहीं की जाती है। आधिकारिक बयान के अनुसार, ऐसे कई सबूत बरामद किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि विभिन्न गैर-मौजूद संस्थाओं को चेक जारी किए गए थे और उन्हें बेहिसाब निवेश और अन्य खर्चों के लिए नकदी के रूप में वापस प्राप्त किया गया था, जो व्यावसायिक खर्चों के रूप में स्वीकार्य नहीं हैं।
जब्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि 300 करोड़ रुपये से अधिक की राशि ट्रस्टियों के व्यक्तिगत खर्चों के लिए या विभिन्न व्यवसायों में तैनाती के लिए ट्रस्टों से निकाली गई है। बयान में कहा गया है कि इसमें आंध्र प्रदेश में एक औद्योगिक इकाई के अधिग्रहण के लिए एक समूह द्वारा किया गया भुगतान शामिल है।