बोधि यात्रा : केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा- PM की पर्यटन से जुड़ी कल्पनाओं को धरातल पर उतार रहा उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह का आह्वान- 'एशिया-यूरोप के पर्यटक एक बार अवश्य करें बौद्ध स्थल का दर्शन'। बोधि यात्रा का आयोजन नई दिल्ली के होटल अशोक में, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने भगवान बुद्ध की जीवन यात्रा के संस्मरणों को किया प्रदर्शित।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की ओर से ‘बोधि यात्रा’ का आयोजन 28 जून, 2024 को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के होटल अशोक में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य उपस्थिति केंद्रीय पर्यटन मंत्री माननीय गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह की रही। कार्यक्रम में मुख्य सचिव, उप्र., प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, विभिन्न देशों के राजदूत, उच्चायुक्त एवं उच्चायोग के अधिकारियों के साथ-साथ कई विभागों के सचिव और मुख्य सचिव की गरिमामय उपस्थिति रही। प्रतिष्ठित ट्रैवल राइटर, ब्लॉगर, टूर एंड ट्रैवल प्रतिनिधियों के साथ-साथ भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ के प्रतिनिधि आयोजन का हिस्सा बने।      

कार्यक्रम की शुरुआत के साथ अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। स्वागत संबोधन के साथ कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत हुई। विशेष सचिव, उत्तर प्रदेश पर्यटन ईशा प्रिया ने एक विस्तृत प्रस्तुति के माध्यम से उत्तर प्रदेश में बौद्ध विरासत स्थलों, पर्यटन आकर्षण, पारंपरिक कला व शिल्प और संस्कृति एवं पर्यटन क्षेत्र में एफ.डी.आई. को बढ़ावा देने के लिए निवेश के अवसर तथा उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति- 2022 के लाभों और सब्सिडी के विवरण’ विषय पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। संवाद सत्र में पर्यटन के दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश में बौद्ध विरासत स्थलों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा देने के प्रयासों पर सार्थक चर्चा हुई।

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत में अपने संबोधन में बोधि यात्रा आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग का आभार जताया। उन्होंने कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री जी ने अक्सर अपने भाषणों में कहा है कि, ‘भारत युद्ध की नहीं, बुद्ध की भूमि है’। इसी पवित्र भूमि ने समूची दुनिया को सत्य, अहिंसा, दया और करुणा का संदेश दिया।’ केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने कहा कि, भारत विविधताओं वाला देश है। यहां पर्यटन की सभी अपेक्षाओं को पूरा करने की क्षमता भारत में है। प्रधानमंत्री जी ने देश में विभिन्न टूरिस्ट सर्किट बनाने की कल्पना की थी। उसमें पहला सर्किट बुद्ध सर्किट है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह का मैं अभिनंदन करना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश शासन ने प्रधानमंत्री की कल्पनाओं को धरातल पर उतारने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया।

केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया का नजरिया बदला है। आज सांस्कृतिक रूप से भारत के प्रति आकर्षण और बढ़ा है। बौद्ध सर्किट के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का विशेष तौर पर आभार व्यक्त करता हूं। जापान, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, म्यांमार, कंबोडिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया जैसे बौद्ध देशों से प्राचीन भारतीय हिंदू बौद्ध सांस्कृतिक संबंध का विशेष जुड़ाव रहा है। अयोध्या धाम और प्रभु श्रीराम से भी इन देशों का आत्मीय जुड़ाव तो हजारों वर्ष से अधिक पुराना है।  

उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने अपने संबोधन में कहा, ‘उप्र.पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित ‘बोधि यात्रा’ का उद्देश्य राज्य में बौद्ध विरासत और तीर्थ स्थलों की झलक पेश करना है। उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़े कई प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। यूपी प्रारंभिक बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है। यहीं से बौद्ध धर्म का विस्तार दुनिया के बाकी हिस्सों में हुआ। बौद्ध धर्म को मानने वाले श्रद्धालु/पर्यटक प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में देश-दुनिया से उत्तर प्रदेश आते हैं। बोधि यात्रा बुद्ध के जीवन, अनुभव और उपदेशों के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रस्तुत करना है।’

उप्र के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह बोले, ‘उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से चौथा सबसे बड़ा राज्य है। 25 करोड़ आबादी वाला सबसे बड़ा प्रदेश तथा जनसंख्या की तुलना में विश्व के पांचवें देश के बराबर है। सौभाग्य से भगवान बुद्ध के जन्म से लेकर शिक्षा, ज्ञान प्राप्ति, उपदेश एवं धार्मिक जनजागृति के अभियान एवं महापरिनिर्वाण (मृत्यु) तक के सभी स्थल उत्तर प्रदेश में ही अवस्थित हैं। लुम्बिनी भारत की सीमा से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो बुद्ध की जन्मस्थली है। इनके जन्म के उपरान्त पिता शुद्धोधन की राजधानी कपिलवस्तु आ गई जो उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद में स्थित है। वह कपिलवस्तु से ही वैराग्य जीवन में आ गए। ज्ञान प्राप्ति के उपरान्त उन्होंने पहला उपदेश सारनाथ में दिया। 

यूपी के पर्यटन मंत्री ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के सभी बौद्ध स्थलों को राजमार्ग/एक्सप्रेस-वे से जोड़ा जा रहा है। वर्तमान समय में प्रदेश में 06 एक्सप्रेस-वे संचालित, 07 एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन हैं। भारत का सबसे लम्बा गंगा एक्सप्रेस-वे 594 किमी0 का निर्माण चल रहा है। इस प्रकार उप्र में सबसे ज्यादा एक्सप्रेस-वे वाला प्रदेश बनकर उभरा है। बेहतर कनेक्टिविटी से बौद्ध स्थलों तक पहुंचना सुगम हो गया है। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल एयरपोर्ट- कुशीनगर, वाराणसी, लखनऊ, जेवर (नोएडा) एवं अयोध्या सभी संचालित हैं। साथ ही, 16 घरेलू हवाई अड्डे भी संचालित हैं।

जयवीर सिंह ने कहा, माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत पांचवी नंबर की अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को तीसरे नंबर और 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के रूप में प्रतिस्थापित करने का संकल्प लिया है। उप्र. सबसे बड़ा राज्य होने के नाते प्रधानमंत्री के संलल्प को पूरा करने में जुटा है। प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उप्र को 01 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाला अग्रणी राज्य बनाने का संकल्प लिया गया है, जिसमें पर्यटन उद्योग का विशेष योगदान है।

जयवीर सिंह ने आगे कहा, ‘मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय की ओर आप सभी राजनायिकों का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। कुछ विदेशिक शक्तियों द्वारा जिनका बौद्ध धर्म के उद्गम, शिक्षा, उपदेश, दर्शन एवं आध्यात्म की कभी कोई संचेतना नहीं रही है वे नकली रूप से अपने देश को बौद्ध धर्म के अनुयायी के रूप में विश्व पटल पर दिग्दर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। बौद्ध अनुयायियों को भ्रामक/कपोल कल्पित सूचनातंत्र के माध्यम से उन्हें भ्रमित कर बौद्ध धर्म के नाम पर अपने देश में पर्यटन बढ़ाने के लिए षडयंत्र रच रहे हैं। उप्र के पर्यटन मंत्री ने कहा, ‘एशिया एवं यूरोप के विभिन्न देशों के सम्मानित राजनयिकों से मेरा अनुरोध है कि आप अपने देशवासियों/बौद्ध अनुयायियों को उप्र के बौद्ध तीर्थ स्थलों पर पर्यटन हेतु प्रेरित करते हुए उन्हें यहां एक बार अवश्य पधारने का आह्वान करें, प्रदेश सरकार उनकी प्रत्येक सुख-सुविधा एवं धार्मिक चेतना के लिए सदैव तत्पर है।’

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा, बुद्ध की जन्मस्थली भले लुम्बिनी रही, लेकिन उनकी कर्मभूमि उत्तर प्रदेश रहा। कपिलवस्तु से बुद्ध ने जो यात्रा शुरू की, वो श्रावस्ती, कपिलवस्तु, सारनाथ सहित अन्य स्थलों से होते हुए आगे बढ़ा। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश बौद्ध धर्म का उद्गम स्थल है और यह बोधि यात्रा आपको भगवान बुद्ध की शांति और दिव्यता का अनुभव कराने की एक पहल है। बौद्ध धर्म की महत्वपूर्ण घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुईं और इस आयोजन का उद्देश्य इन बौद्ध स्थलों को वैश्विक मानचित्र पर बढ़ावा देना है। हमारे प्रधानमंत्री के विजन के तहत काम करते हुए और राज्य सरकार और पर्यटन विभाग के निरंतर प्रयासों से, हमने इन स्थलों पर बुनियादी ढांचे और विश्व स्तरीय पर्यटक सुविधाओं का विकास किया है जो देश के शीर्ष पर्यटन स्थलों के रूप में उभर रहे हैं। हमारी निवेशक-अनुकूल पर्यटन नीति के माध्यम से, हितधारक पर्यटन क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की इस परिवर्तनकारी यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं।”  

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय की सचिव वी. विद्यावती ने संबोधन में कहा कि, ‘बुद्ध उत्तर प्रदेश के दिल और आत्मा में बसते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर भारत सरकार का उद्देश्य न केवल बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए एक यादगार अनुभव बनाना है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए विकास और बेहतर रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना भी है। हम राज्य में बौद्ध संग्रहालयों के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए भी उत्सुक हैं, क्योंकि वे इतिहास का एक जीवंत स्रोत हैं।’

प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश घरेलू पर्यटन में नंबर एक स्थान प्राप्त करते हुए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। हमें निकट भविष्य में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटकों के उत्तर प्रदेश आने की उम्मीद है।’ कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, ‘हम दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के विभिन्न देशों के साथ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को और बेहतर करना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय के सहयोग से सांस्कृतिक-कूटनीति में सुधार कर राज्य में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना चाहते हैं। हमने मंदिरों और गेस्ट हाउस के निर्माण के लिए पहले ही भूटान सरकार को वाराणसी में 02 एकड़ जमीन आवंटित की है। इस मंच के माध्यम से हम अन्य देशों को उत्तर प्रदेश में बुद्ध से जुड़े सभी छह स्थलों के आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्र में निवेश करने की पेशकश करते हैं। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि आपको सभी प्रकार से आवश्यक पारस्परिक सहयोग प्रदान करेंगे।’

बोधि यात्रा कार्यक्रम में भूटान, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, श्रीलंका, लाओ पीडीआर, कंबोडिया, वियतनाम, इंडोनेशिया, सिंगापुर, जापान, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, चीन आदि देशों के राजदूत, उच्चायुक्त एवं उच्चायोग के अधिकारियों ने शिरकत की। विदेश मंत्रालय के सचिव और अधिकारी गण, पर्यटन मंत्रालय एवं पर्यटन मंत्रालय के सचिव तथा अधिकारियों, संस्कृति मंत्रालय के सचिव एवं अधिकारी गण तथा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश की भी गरिमामय उपस्थिति रही। इनके अलावा, अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग, उप्र, प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं पर्यटन विभाग के अधिकारी, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ दिल्ली के पदाधिकारी, प्रतिष्ठित ट्रैवल राइटर एवं ब्लॉगर, ट्रैवल एंड टूर ऑपरेटर प्रतिनिधि तथा भारतीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। 

सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत भगवान बुद्ध की असाधारण यात्रा पर एक प्रस्तुति हुई। तत्पश्चात, अतिथियों का अभिनंदन किया गया। रात्रि भोज के साथ बोधि यात्रा कार्यक्रम का सुखद समापन हुआ।

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