छेड़छाड़ के आरोपी मंत्री का इस्तीफा लें मुख्यमंत्री या नैतिकता के आधार पर संदीप सिंह खुद सौंपे इस्तीफा: भूपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़ (कुलवीर दीवान) : पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में छेड़छाड़ के आरोपी मंत्री के इस्तीफे की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि आरोपों की जांच होने तक मुख्यमंत्री को मंत्री से इस्तीफा लेना चाहिए या नैतिकता के आधार पर खुद मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। लेकिन छेड़छाड़ के आरोपी मंत्री.

चंडीगढ़ (कुलवीर दीवान) : पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में छेड़छाड़ के आरोपी मंत्री के इस्तीफे की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि आरोपों की जांच होने तक मुख्यमंत्री को मंत्री से इस्तीफा लेना चाहिए या नैतिकता के आधार पर खुद मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। लेकिन छेड़छाड़ के आरोपी मंत्री को बचाने के लिए बीजेपी-जेजेपी सरकार सार्वजनिक जीवन की नैतिकता और मूल्यों को तार-तार कर रही है। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के प्रति सरकार के इस रवैये की वजह से आज महिला सुरक्षा के मामले में हरियाणा तमाम राज्यों से पिछड़ गया है। हुड्डा आज विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। अभिभाषण के बाद कांग्रेस विधायकों ने आरोपी मंत्री के इस्तीफे की मांग को सदन में उठाया। लेकिन सरकार अपना अड़ियल रुख छोड़ने को तैयार नहीं हुई। इसके विरोध में पार्टी विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया।

राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अभिभाषण में सरकार के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्यपाल से गलत दावे करवाए, जो जमीन पर कहीं नजर नहीं आते। अभिभाषण में सरकार ने अपनी नाकामियों को उपलब्धियों की तरह पेश करने की कोशिश की। हकीकत यह है कि पिछले 8 साल में मौजूदा सरकार ने हरियाणा को हर मोर्चे पर पीछे धकेलने का काम किया। कानून व्यवस्था की जिस स्थिति पर सरकार को शर्मसार होना चाहिए, उसपर भी वह अपनी पीठ थपथपा रही है। जबकि, खुद केंद्र की सामाजिक प्रगति रिपोर्ट कहती है कि नागरिक सुरक्षा के मामले में हरियाणा सबसे निचले पायदान पर है।

इसी तरह पूरे कार्यकाल में इस सरकार ने भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने की बजाए भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिया। इसके लिए घोटालों की जांच रिपोर्ट को दबाया गया उन पर लीपा-पोती की गई। युवाओं को रोजगार देने के बजाय सरकार ने सरकारी महकमों में पदों को खत्म करने का काम किया। आज प्रदेश में लगभग 2 लाख पद खाली पड़े हुए हैं। भर्तियों के नाम पर ताबड़तोड़ घोटाले किए गए गए। परचून की दुकान पर सामान की तरह नौकरियों को बेचा गया। कौशल निगम के जरिए कम वेतन में बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के पढ़े-लिखे युवाओं का शोषण किया जा रहा है।

बीजेपी-जेजेपी सरकार में नये स्कूल बनाने की बजाए पहले से स्थापित स्कूलों को ताले जड़े जा रहे हैं। परिवार पहचान पत्र की आड़ में बुजुर्गों को पेंशन देने की बजाए उसपर कैंची चलाई जा रही है। गरीबों को राहत देने की बजाए उनके राशन काटे जा रहे हैं। पीपीपी के जरिए इस सरकार ने पिछड़ों को आरक्षण और गरीबों को लाभकारी योजनाओं से वंचित कर दिया। छोटे-छोटे व गरीबों की लाखों रुपए सालाना आय दिखाकर हजारों परिवारों को हाशिए पर धकेल दिया।

हुड्डा ने कहा कि अभिभाषण में किसानों को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए। लेकिन सच्चाई यह है कि गठबंधन सरकार के दौरान सबसे ज्यादा ज्यादती किसानों के साथ हुई। उन्हें ना फसलों का एमएसपी मिला, ना समय पर खाद मिली और ना ही खराबे का मुआवजा दिया गया। ऊपर से सरकार ने किसानों को ‘मेरी फसल, मेरा ब्यौरा’ पोर्टल जंजाल में उलझाकर रख दिया। अभिभाषण में पंचायती राज को लेकर भी सरकार की तारीफ हुई। लेकिन हकीकत यह है कि आज पंचायतों के चुने हुए मुखिया ई-टेंडरिंग के खिलाफ आंदोलनरत हैं। सरकार ने पंचायतों को शक्तिविहीन कर दिया है। वह चाहकर भी अपने गांवों में विकास कार्य नहीं करवा सकते।

कर्मचारियों का जिक्र करते हुए हुड्डा ने कहा कि पंचकूला में पुरानी पेंशन स्कीम की मांग को लेकर जुटे प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाकर सरकार ने खुद के कर्मचारी विरोधी होने का प्रमाण दे दिया। जबकि, सरकार को कांग्रेस शासित प्रदेशों की तरह फौरन ओपीएस लागू करनी चाहिए। लेकिन बीजेपी-जेजेपी ने ऐसा नहीं किया तो कांग्रेस सरकार बनते ही पहली कैबिनेट मीटिंग में ओपीएस पर मुहर लगाई जाएगी।

खेल और खिलाड़ियों के बारे में अभिभाषण में कही गई बातें भी खोखली मालूम पड़ती हैं। क्योंकि कांग्रेस सरकार द्वारा बनाई गई पदक लाओ, पद पाओ नीति का मौजूदा सरकार ने बंटाधार कर दिया। पहले खिलाड़ियों से डीएसपी जैसे उच्च पदों पर नियुक्ति की अधिकार छीना गया और फिर उनसे नौकरियों में 3 प्रतिशत खेल कोटा छीना। यहां तक कि जब हमारे पहलवान कुश्ती संघ के खिलाफ दिल्ली में धरने पर बैठे थे तो उस वक्त भी सरकार ने अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह नहीं निभाई। इस सरकार ने हर बार खिलाड़ियों का मनोबल तोड़ने का काम किया है।

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