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सिख दंगा प्रभावितों के मुआवजे पर रिपोर्ट पेश नहीं करने से हाईकोर्ट नाराज

Compensation for Sikh Riot Victims : झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 1984 के सिख दंगा प्रभावितों को मुआवजे की जांच के लिए गठित वन मैन कमीशन की रिपोर्ट पेश न किए जाने पर राज्य सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने राज्य में सिख दंगे से संबंधित क्रिमिनल केस की मॉनिटरिंग को लेकर सतनाम सिंह गंभीर की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि कमीशन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने में क्या परेशानी है? वह इसे कब पेश करेगी?

8 अप्रैल को अगली सुनवाई-
कोर्ट ने कहा कि कमीशन की रिपोर्ट से ही स्पष्ट हो पाएगा कि दंगे से प्रभावित हुए कितने लोगों को मुआवजे का भुगतान हुआ है और कितने लोग अब भी इससे वंचित हैं। मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को निर्धारित की गई है। पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है। वन मैन कमीशन की अनुशंसा के मुताबिक, 41 पीड़ितों में से 39 पीड़ितों को मुआवजा दे दिया गया है।

लंबे समय से लंबित था मुआवजे का भुगतान-
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद झारखंड में हुए सिख विरोधी दंगों के प्रभावितों के मुआवजे से जुड़े दावों की जांच के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2015 में जस्टिस (रिटायर्ड) डीपी सिंह की अध्यक्षता में एक सदस्यीय कमीशन गठित किया गया था। कमीशन ने दंगा प्रभावितों से आवेदन मंगाकर जांच की और इसके बाद सरकार को रिपोर्ट सौंप दी थी। इसके बावजूद मुआवजे का भुगतान लंबे समय से लंबित था।

1 करोड़ 85 लाख 31 हजार 483 रुपए की राशि का भुगतान-
कमीशन की अनुशंसा पर राज्य के चार जिलों रांची, बोकारो, रामगढ़ और पलामू में दंगा प्रभावितों के लिए 1 करोड़ 85 लाख 31 हजार 483 रुपए की राशि का आवंटन किया गया था। इनमें सबसे ज्यादा 24 दंगा पीड़ित बोकारो जिले के थे, जिनके बीच 1 करोड़ 20 लाख के मुआवजे का वितरण किया जाना था। इसी तरह पलामू के दस पीड़ितों के बीच 17 लाख 88 हजार, रांची में छह लोगों के बीच 11 लाख 39 हजार और रामगढ़ में एक प्रभावित को 36 लाख रुपए की राशि का भुगतान किया जाना था।

 

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