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त्वरित अदालतों ने यौन अपराधों से जुड़े 90% से अधिक मामलों का निपटारा किया : रिपोर्ट

नई दिल्ली: यौन अपराधों से संबंधित मामलों की सुनवाई प्रक्रिया में तेजी लाने वालीं विशेष त्वरित अदालतों ने 2022 में 83} और 2023 में 94% मामलों का निपटारा किया, जबकि अन्य सभी भारतीय अदालतों में निपटान दर केवल 10% देखी गई। एक नई रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। बाल अधिकारों के लिए काम करने.

नई दिल्ली: यौन अपराधों से संबंधित मामलों की सुनवाई प्रक्रिया में तेजी लाने वालीं विशेष त्वरित अदालतों ने 2022 में 83} और 2023 में 94% मामलों का निपटारा किया, जबकि अन्य सभी भारतीय अदालतों में निपटान दर केवल 10% देखी गई। एक नई रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटैक्शन’ की हालिया रिपोर्ट ‘फास्ट ट्रैकिंग जस्टिस : रोल ऑफ फास्ट ट्रैक स्पैशल कोर्ट्स इन रिड्यूसिंग केस बैकलॉग’ में इन अदालतों की असाधारण कार्यकुशलता पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, जबकि सभी भारतीय अदालतों में 2022 में बलात्कार और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) मामलों में केवल 10% निपटान दर देखी गई, वहीं विशेष त्वरित अदालतों ने 83% की प्रभावशाली दर हासिल की, जो 2023 में और बेहतर होकर 94} हो गई।

त्वरित अदालतों के सकारात्मक प्रभाव के बावजूद, रिपोर्ट न्यायिक प्रणाली की चुनौतियों की एक अलग तस्वीर पेश करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2024 तक, 1023 निर्धारित विशेष अदालतों में से 410 विशेष पॉक्सो अदालतों, सहित कुल 755 त्वरित विशेष अदालतें कार्यरत हैं। रिपोर्ट के अनुसार, योजना की शुरुआत के बाद से त्वरित विशेष अदालतों में बलात्कार और पॉक्सो के कुल 4,16,638 मामलों की सुनवाई की गई है और इन अदालतों ने 2018 में अपनी स्थापना के बाद से दर्ज किए गए 52% मामलों का निपटारा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन विशेष अदालतों में 4,16,638 मामलों में से कुल 2,14,463 का निपटारा किया गया है।

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