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शुद्ध आहार और विचार से प्रशस्त होगा उज्जवल भविष्य का मार्ग : कर्नल दत्त

कुरुक्षेत्र: शुद्ध आहार, उन्नत विचार और कठिन परिश्रम से आप अपने भविष्य को उज्जवल बना सकते हो। छात्रों के लिए माता-पिता व गुरु सबसे बड़े हितैषी होते हैं, उनकी आज्ञा का सदैव पालन करना चाहिए। उक्त शब्द गुरु कुल कुरु क्षेत्र के 12वीं कक्षा के छात्रों के दीक्षाव्रत समारोह को सम्बोधित करते हुए गुरु कुल के निदेशक कर्नल अरु ण दत्ता ने कहे। उन्होंने कहा कि गुरु कुल में ब्रह्मचारी, माँ के गर्भ की भाँति सुरिक्षत रहता है, उसे बाहरी दुनिया के वातावरण का बिल्कुल भी आभास नहीं होता। आप जहाँ भी जाओ, गुरु कुल में अपने आचार्यां द्वारा दी गई शिक्षाओं को हमेशा याद रखना क्योंकि गुरु कुल की ये शिक्षाएं आपको महान बनाने में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। इस अवसर पर गुरु कुल के प्राचार्य सूबे प्रताप, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य सहित सभी अध्यापकगण उपस्थित रहे।

उन्होंने कहा कि गुरु कुल में आपको अक्षरज्ञान के साथ-साथ संस्कार और अच्छे विचारों की जो शिक्षा दी गई है, उसे हमेशा याद रखना क्योंकि बडे से बडे स्कूल, कॉलेजों में भी आपको ऐसी शिक्षा नहीं मिलेगी। गुरु कुल में शिक्षा पूरी होने के बाद आपका सामना बाहरी दुनिया के दूषित वातावरण, कुसंस्कार और नशाखोरी जैसी बुराइयों से होगा। यदि आपने अपने विचार शुद्ध और पवित्र रखे तो ऐसी बुराइयाँ आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी और आप जीवन में नई ऊंचाइयों को छुएंगे। उत्तम विचार, कड़ी मेहनत और चिन्तन से ही आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। हवन के साथ समारोह का शुभारम्भ हुआ जिसमें आचार्य दयाशंकर ने ब्रह्मा की भूमिका निभाई। उन्होंने छात्रा को दीक्षाव्रत समारोह के महत्त्व को समझाते हुए कहा कि प्राचीनकाल से ही हमारे देश में दीक्षांत समारोह की परम्परा रही है जिसमें गुरु शिक्षा पूरी होने के उपरान्त अपने शिष्य से दक्षिणा स्वरूप समाज के कल्याण की कामना करता है। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त का अर्थ शिक्षा समाप्ति नहीं अपितु एक सभ्य समाज के निर्माण हेतु स्वयं को आहूत करने की दिशा में पहला कदम है।

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